(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
22 करोड़ का इंजेक्शन बचा सकता है मासूम की जिंदगी, इस बीमारी का भारत में नहीं है इलाज
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नाम की एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज भारत में नहीं है. इस बीमारी का एक मात्र इलाज एक इंजेक्शन है जिसकी कीमत 22 करोड़ रुपये है. देवरिया के एक परिवार ने अपने बच्चे को इस बीमारी से बचाने के लिए मदद की गुहार लगाई है.
देवरिया: एक बेबस मां की गुहार...''प्लीज मेरे बच्चे को बचा लो''...ये गुहार है उतर प्रदेश के देवरिया जिले की रहने वाली प्रियंका गुप्ता की जिनका चार माह का एक मासूम बच्चा है. बच्चे को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नाम की एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज भारत में नहीं है. इस बीमारी का एक मात्र इलाज एक इंजेक्शन है जिसकी कीमत 22 करोड़ रुपये है और ये इंजेक्शन यूएसए से आएगा. ये इंजेक्शन अगर बच्चे को दो साल के अंदर नहीं लगा तो उसकी मौत हो जाएगी. बच्चे के माता पिता प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जनता से मदद की गुहार लगा रहे हैं कि प्लीज मदद कर इनके मासूम बच्चे की जान बचाई जाए.
22 करोड़ का है इंजेक्शन न्यू कॉलोनी मोहल्ले में कृष्ण शंकर गुप्ता का परिवार रहता है. इनके बेटे मोहित की शादी प्रिंयका गुप्ता से हुई. शादी के बाद 5 दिसंबर 2020 को प्रियंका ने एक बच्चे को जन्म दिया. जन्म के बाद से ही बच्चे के सिर और पैर काम नहीं कर रहे थे. मोहित और प्रियंका ने बच्चे को डॉक्टरों से दिखाना शरू किया. डॉक्टरों सलाह दी कि बच्चे को दिल्ली में दिखाइए. तब दोनों बच्चे को सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली ले गए. जहा जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नाम की बीमारी है जिसका एक मात्र इलाज एक इंजेकशन है जो यूएसए से आएगा, जिसकी कीमत 22 करोड़ रुपये है.
सोशल मीडिया का लिया सहारा डॉक्टरों की बात सुनते ही माता पिता दोनों के पैर के नीचे से मानो जमीन ही खिसक गई. इतनी बड़ी रकम का बंदोबस्त कैसे होगा. तब परिवार ने हिम्मत जुटाई और सोशल मीडिया की मदद से क्राउड फंडिंग के जरिए पैसा जुटाने की मुहिम शरू की. माता पिता दोनों जनता से गुहार लगा रहे हैं कि प्लीज हमारे बच्चे को बचा लीजिए. मां रो रही है कि किसी तरह उसके बच्चे की जान बच जाए.
सरकारी कर्मचारी हैं पिता पिता मोहित गुप्ता सरकारी कर्मचारी हैं जो अलीगढ़ में बिजली विभाग में सहायक अभियंता के पद पर तैनात हैं. पिता का कहना है कि हम मिडिल क्लास के लोग हैं, इतनी बड़ी रकम दो साल के अंदर कैसे जुटा पाएंगे. केवल जनता और सरकार ही हमारी मदद कर सकती है.
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