प्रयागराज. लव जिहाद कानून को लेकर रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों की ओर से सीएम योगी को लिखी चिट्ठी पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. मौर्य ने पूर्व आईएएस की लव जिहाद कानून को वापस लेने की मांग पर कहा कि इस तरह की अपील और बयानबाजी करना अब फैशन बन गया है. नागरिकों के हित में जब भी कोई अच्छा काम होता है तो इसी तरह से अपील व बयानबाजी की जाती है. इस तरह के कदम सिर्फ सरकार को बदनाम करने के लिए उठाए जाते हैं.


सक्रिय हुआ अवॉर्ड वापसी गैंग : मौर्य
मौर्य ने आगे कहा, "देश व प्रदेश के हित में कोई भी अच्छा काम होने पर अवॉर्ड वापसी और टुकड़े-टुकड़े गए गैंग सक्रिय हो जाता है. सीएए और एनआरसी समेत तमाम मुद्दों पर कई लोगों ने अवॉर्ड वापसी का एलान किया था, लेकिन इनमें से किसी ने भी अपना अवॉर्ड वापस नहीं किया. रिटायर्ड नौकरशाह सिर्फ सरकार को बदनाम करने के लिए इस तरह की हरकतें कर रहे हैं. उनकी सेवा समाप्त हो गई है वह सिर्फ अब सराहना लें."


डिप्टी सीएम यहीं नहीं रुके. उन्होंने ये भी कहा कि सरकारों को सलाह देने के लिए वर्तमान में पदों पर बैठे अफसर पूरी तरह सक्षम हैं. इसी तरह के लोग सीएए के दुरुपयोग को लेकर भी आवाज उठा रहे थे, लेकिन साल भर का वक्त बीतने के बावजूद पूरे देश में दुरुपयोग का एक भी मामला सामने नहीं आया है. इस तरह के काम बीजेपी विरोधी और मोदी विरोधी गैंग के इशारे पर किया जाता है. रिटायर्ड नौकरशाहों के दिन बीत चुके हैं. देश की जनता अब जागरुक हो चुकी है.


क्या है मामला?
गौरतलब है कि यूपी में लव जिहाद कानून को लेकर 104 रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है. इन अधिकारियों ने चिट्ठी में लव जिहाद कानून का विरोध किया है. पूर्व अधिकारियों ने कानून के उपयोग पर चिंता जाहिर करते हुए इसको लेकर अपनी अस्वीकृति जाहिर की है. पत्र लिखने वालों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टीकेए नायर, के सुजाता राय और एएस दौलत भी शामिल हैं.


104 पूर्व अधिकारियों ने लिखी चिट्ठी
अधिकारियों ने इस अध्यादेश को अवैध बताते हुए कानून के तहत गिरफ्तार आरोपियों के लिए मुआवजे की मांग भी की है. पत्र में कहा गया है कि जिस यूपी को कभी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता था, वो अब घृणा, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बन गया है और शासन की संस्थाएं अब सांप्रदायिक जहर में डूबी हुई हैं. ये काफी दर्दनाक है.


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