UP Politics: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के खिलाफ आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इनकार कर दिया. यह याचिका एसीजेएम, प्रयागराज के चार सितंबर, 2021 के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई थी. 


एसीजेएम, प्रयागराज ने चुनावी हलफनामा में और पेट्रोल पंप हासिल करने के लिए कथित फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र का उपयोग करने के लिए केशव मौर्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग वाले आवेदन को खारिज कर दिया था. दिवाकर नाथ त्रिपाठी नाम के व्यक्ति ने याचिका दायर करने में विलंब के लिए क्षमा मांगी थी और गुण के आधार पर इस याचिका पर सुनवाई करने का अनुरोध किया था.


UP Politics: शिष्या से रेप के आरोप में पूर्व मंत्री बरी, MP-MLA कोर्ट का फैसला, जाने क्या था पूरा मामला


हलफनामा में ऐसा कोई आधार नहीं
न्यायमूर्ति समित गोपाल की अदालत ने याचिका दायर करने में विलंब पर कहा, “विलंब के लिए क्षमा के आवेदन और इसके समर्थन में दाखिल हलफनामा में ऐसा कोई आधार नहीं है जो दर्शाता हो कि याचिकाकर्ता इस मामले को लेकर गंभीर रहा हो.” उच्च न्यायालय के समक्ष एसीजेएम के आदेश को 327 दिन के विलंब के बाद चुनौती दी गई. अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता विलंब के लिए क्षमा मांगने में दूर दूर तक इसका ठोस कारण प्रदर्शित करने में विफल है.”


उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता त्रिपाठी ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम), प्रयागराज के समक्ष आवेदन कर केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था.


गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ ये अर्जी आरटीआई एक्टिविस्ट दिवाकर त्रिपाठी की ओर से कोर्ट में दाखिल की गई थी. इस अर्जी में दावा किया गया था कि उन्होंने 2007 में विधानसभा चुनाव लड़ा था. इसके अलावा भी केशव प्रसाद मौर्य ने कई चुनाव लड़े थे. तब उन्होंने अपनी जो डिग्री लगाई थी वो किसी भी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं थी.