UP Election 2022 : सिराथू में आज नामांकन करेंगे केशव मौर्य, कहा- मेरे खिलाफ कोई भी लड़े फर्क नहीं पड़ता
UP Election 2022 : नामांकन दाखिल करने से पहले केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ''मैं सिराथू का बेटा हूं, सिराथू मेरा है, कोई भी चुनाव लडे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए इन दिनों नामांकन का दौर चल रहा है. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य गुरुवार को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे. बीजेपी ने उन्हें कौशांबी के सिराथू से उम्मीदवार बनाया है. सिराथू मौर्य का जन्मस्थान भी है. मौर्य के नामांकन पत्र दाखिल करते समय बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहेंगे. नामांकन दाखिल करने से पहले मौर्य ने कहा है कि वो सिराथू का बेटा हैं. सिराथू मेरा है, कोई भी चुनाव लडे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
केशव मौर्य के नामांकन में ये नेता रहेंगे मौजूद
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नामांकन के समय बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे. इसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के उत्तर प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल मौजूद रहेंगे.
सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव लड़ने की वजह से वह उत्तर प्रदेश की वीआईपी सीट हो गई है. सबकी नजरें वहां लगी हुई हैं. नामांकन दाखिल करने से पहले केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ''मैं सिराथू का बेटा हूं, सिराथू मेरा है, कोई भी चुनाव लडे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. अखिलेश और शिवपाल के सामने कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा है क्योंकि सपा बसपा और कांग्रेस ये सब एक हैं इसीलिए प्रत्याशी नहीं उतारा. इस बार के चुनाव में किसी के पास कोई मुद्दा नहीं है, सब बिना मुद्दों के बात कर रहे हैं, सिर्फ बीजेपी है जो विकास, बिजली, पानी और सड़क जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है.''
सिराथू में केशव मौर्य का सफर
सिराथू में केशव प्रसाद मौर्य के सामने समाजवादी पार्टी ने पल्लवी पटेल को मैदान में उतारा है. वो केंद्रीय मंत्री और अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल की सगी बहन हैं. पल्लवी पटेल अपना दल (कमेरावादी) की नेता हैं. वो सपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी.
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सिराथू सीट से सपा ने सिर्फ केवल 2014 के उपचुनाव में जीत दर्ज कर पाई थी. केशव प्रसाद मौर्य ने फूलपुर से सांसद चुने जाने के बाद सिराथू के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. इस वजह से उपचुनाव कराया गया. साल 1993 से लेकर साल 2007 तक यह क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. उस समय बीएसपी के उम्मीदवार ही जीते थे. साल 2012 में सामान्य होने के बाद केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के टिकट पर जीते. यह उनकी पहली जीत थी. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ते चले गए.