प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। पूर्वजों की आत्मा की शान्ति व मुक्ति के लिए पिछले एक पखवारे से चल रहे पितृ पक्ष का आज यानी 28 सितंबर अमावस्या पर समापन हो रहा है। ग्रहों और नक्षत्रों के खास संयोग के चलते इस बार के पितृ पक्ष की अमावस्या का महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ गया है।
प्रयागराज में शनिवार पितृ पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या पर देश के कोने-कोने से आए हजारों श्रद्धालु मंडन व पिंडदान के बाद संगम स्नान कर अपने पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति व तृप्ति की कामना की गई। मान्यता है कि पितृ पक्ष के अंतिम दिन यानी अमावस्या पर प्रयागराज के संगम में श्राद्ध कर्म कर पिंडदान व तर्पण करने वालों की 16 पीढ़ियां तृप्त हो जाती हैं। अमावस्या पर प्रयागराज के संगम पर किया गया श्राद्ध पितृ ऋण से भी मुक्ति दिलाता है। हालांकि इस बार समूचा संगम क्षेत्र बाढ़ के पानी में डूबे होने और रुक-रुककर हो रही बारिश से लोगों को खासी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा।
पितृ पक्ष का संगम नगरी प्रयागराज में विशेष महत्व है। सृष्टि के रचयिता परम पिता ब्रह्मा का मुखस्थल और त्रिवेणी संगम की धारा में मोक्ष के देवता भगवान विष्णु के साक्षात वास करने के कारण प्रयागराज को पितृ मुक्ति का प्रथम व मुख्य द्वार कहा गया है। प्रयाग में संगम तट पर केशदान यानी मुंडन संस्कार से ही पिंडदान की रस्मे शुरू होती हैं। यही वजह है कि पितृ पक्ष की अमावस्या पर आज प्रयागराज के संगम के सभी घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा है और लोग पिंडों का विसर्जन कर अपने पुरखों के लिए मोक्ष की कामना कर रहे हैं। इस मौके पर संगम समेत सभी घाटों पर सुरक्षा के खास इंतजाम किये गए।
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