वाराणसी, एबीपी गंगा। सावन की शिवरात्रि पर वैसे तो पूरे देश में भक्तों की भीड़ है लेकिन बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में शिवरात्रि के अलग रंग देखने को मिल रहे हैं। सजे हुए कांवड़ और मुख से बोल बम का उद्घोष काशी के वातावरण को भक्तिमय बना रहा है तो वहीं ओम नमः शिवाय का जाप और हर हर महादेव का उद्घोष भक्ति के रंग को और भी चटक कर रहा है।
कांवड़ के अलग रंग
कहते हैं कि भोलेनाथ की भक्ति मनोकामना की पूर्ति की शक्ति प्रदान करती है। आज सावन की शिवरात्रि है लिहाजा काशी में भक्ति के अलग रंग दिख रहे हैं। काशी में कांवड़ियां कांवड़ तो लेकर पहुंचे ही हैं। सजे हुये आकर्षक कांवड़ सबके मन को छू रहा है। कांवड़ लेकर आने वालों की मानें तो इससे मन्नत पूरी होती है और महादेव का आशीर्वाद मिलता है।
भजन कीर्तन और हर हर महादेव के जयकारे से गुंजायमान हुई काशी
पूरे श्रावण मास काशी में शिवभक्तों का जमावड़ा रहता है लेकिन सावन की शिवरात्रि खास होती है इस दिन जल का अभिषेक करने से महाशिवरात्रि का पुण्य प्राप्त होता है। लिहाजा भक्त भजन कीर्तन करते बोल बम और हर हर महादेव का जयकारा लगाते काशी पहुंचे हैं।
कब होती है शिवरात्रि
श्रावण मास की चतुर्दशी तिथि को सावन की शिवरात्रि कहा जाता है। वैसे तो साल में ग्यारह शिवरात्रि और एक महाशिवरात्रि होती है साल के ग्यारह महीने में अलग अलग ग्यारह शिवरात्रि पड़ती है और एक महाशिवरात्रि जिस दिन शिव गौरा विवाह माना जाता है वो पड़ती है लेकिन सावन भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। कहते हैं कि इस पूरे महीने में भोलेनाथ माता पार्वती के साथ कैलाश छोड़कर काशी में वास करते हैं इसलिए काशी में सावन के महीने में शिवरात्रि खास होती है। इस दिन महादेव का दर्शन पूजन और जलाभिषेक करने से महाशिवरात्रि के दर्शन जैसा पुण्य मिलता है। शायद ये ही वजह है कि भक्तों की भीड़ आज सावन के आम दिनों की अपेक्षा ज्यादा है।