हरिद्वार, एबीपी गंगा। आज देशभर में गंगा दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। इस मौके पर हरिद्वार, बनारस समेत कई जगहों पर श्रद्धालु गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगा रहा हैं। स्नान के लिए विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है। आधी रात के बाद से ही यहां पर स्नान करने के लिए लोगो की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी।


क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा?
मान्यता है कि मां गंगा आज के दिन ही धरती पर हरिद्वार के ब्रह्मकुंड में आई थी और भागीरथ के पुरखों का उद्धार किया था। इसी लिए हरकी पौड़ी में आज के दिन ब्रह्मकुंड में स्नान का महत्व माना जाता है। भागीरथी के कठोर तप के बाद भागीरथी के पुरखों को मुक्ति प्रदान करने के लिए स्वर्ग से धरती पर गंगा आने को तैयार हुए थी मगर धरती पर आने के लिए सबसे बड़ी समस्या गंगा का प्रचंड वेग था, उस वेग को संभालना मुश्किल ही नही बल्कि नामुमकिन था। केवल भगवान शिव ही गंगा के वेग को धारण कर सकते थे ऐसे में भागीरथी के आग्रह पर भगवान शिव ने गंगा को पहले अपनी जटाओं में धारण करना स्वीकार किया था।


गंगा सप्तमी के दिन गंगा भगवान शिव की जटाओं में समा गई थी इसके बाद दशमी के दिन गंगा पहली बार शिव की जटाओं से होते हुए धरती पर अवतरित हुए थी और राजा सागर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान की थी। ज्योतिषाचार्य डॉक्टर प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार, विदुर ने भी गंगा की स्तुति की थी। त्रेता युग मे रावण की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के के लिए भगवान राम भी गंगा घाट पर आये थे और उन्होंने यहीं आकर तपस्या और गंगा स्नान किया तब जाकर उन्हें रावण वध के पाप से मुक्ति मिली थी।


राम के भाई लक्ष्मण ने भी ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला में गंगा किनारे तप किया और फिर गंगा  में गंग स्नान किया था तब जाकर उन्हें भी रावण वध के दोष से मुक्ति प्राप्त हुई थी। मान्यता के अनुसार, सूर्य और चंद्रमा के बाद मा गंगा ही इस लोक में प्रत्यक्ष देवी मानी जाती है और मा गंगा हर मनोकामना पूरी करती है इसीलिए गंगा को पाप विनाशनी और मोक्षदायिनी भी माना जाता है।