Dev Uthani Ekadashi: आज देवउठनी एकादशी के दिन श्रद्धालुओं ने वाराणसी में पूजा की है. हिन्दू धर्म में इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. देवउठनी एकादशी के दिन लोग व्रत और पूजा आदि करते हैं.



वाराणसी में पूजा करने के बाद एक श्रद्धालु ने कहा , "भगवान विष्णु चार महीने सोने के बाद आज के दिन उठते हैं. आज से हिन्दू धर्म में शुभ कार्यों की शुरुआत होती है."


इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है. एकदाशी का व्रत दशमी तिथि के शाम सूर्यास्त के बाद से शुरू होकर द्वादशी तिथि को हरि वासर समाप्त होने तक रखा जाता है. व्रत के दिन इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः “मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है.


क्या है देवउठनी एकादशी 


देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2021) के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) चार माह के शयन काल के बाद जागते हैं और अपना कार्यभार संभालते हैं. कहते हैं कि इस दिन से मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष तिथि की एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है. इसे देवोत्थान एकादशी (Devuthhan Ekadashi 2021) और प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. साल में पड़ने वाली 24 एकादशियों में से सबसे बड़ी एकदाशी होता है देवउठनी एकादशी. 


देवउठनी एकादशी की पूजा विधि (Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi)


मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहू्र्त में स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें. और भगवान विष्णु जी की पूजा करते हुए व्रत का संकल्प लें. इस दिन भगवान ले उनके जागने का आह्वान करें. शाम के समय पूजा स्थल पर रंगोली बनाकर घी के 11 दीये देवी-देवताओं के निमित्त जलाएं. अगर संभव हो तो गन्ने का मंडप बनाकर बीच में विष्णु जी की मूर्ति रखें. इस दिन भगवान हरि को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, पतासे, मूली जैसे मौसमी फल अर्पित करें. बता दें कि एक घी का दीपक रात भर जलाएं और अगले दिन हरि वासर समाप्त होने के बाद ही व्रत का पारण करें. 


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