लखनऊ, संतोष कुमार। उत्तर प्रदेश पुलिस आज से देश के उन राज्यों में शुमार हो गई है, जो साइबर अपराध से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। राज्य पुलिस ने साइबर क्राइम ट्रेनिंग लैब की शुरुआत कर दी है। सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध को रोकने के लिए निर्भया फंड के जरिए देशभर में शुरू की गई कार्य योजना के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस साइबर अपराधियों से निपटने के लिए उठ खड़ी हुई है। आने वाले वक्त में इंटेलिजेंस, एसटीएफ और एटीएस की तर्ज पर साइबर क्राइम की अलग विंग भी काम करना शुरू कर देगी।


साइबर क्राइम इन लैब स्थापित, DGP ने किया उद्घाटन


फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध पर नकेल कसने के लिए भारत सरकार ने CCPWC यानी cyber crime prevention against women and child योजना शुरू की है। इसी योजना के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस ने साइबर ट्रेनिंग लैब स्थापित की है। डीजीपी ओपी सिंह ने इसका उद्घाटन किया है।





साइबर क्राइम की विवेचना की सिखाए जाएंगे गुर


इस लैब में प्रदेश भर के पुलिसकर्मियों को साइबर क्राइम की विवेचना के गुर सिखाए जाएंगे। इतना ही नहीं, साइबर क्राइम लैब प्रदेशभर में विभिन्न आपराधिक घटनाओं में बरामद लैपटॉप, मोबाइल, कंप्यूटर से डाटा रिकवरी करने में भी मदद करेगी। साथ ही, आईफोन और चाइनीस मोबाइल का डिलीट किया हुआ डाटा, फाइल, वीडियो भी आसानी से रिकवर कर सुबूत इकट्ठा किया जा सकेगा। लैब में मौजूद सॉफ्टवेयर के जरिए सीसीटीवी फुटेज से गाड़ी का नंबर हो या अपराधी की तस्वीर, साफ की जा सकेगी।


बीते साल प्रदेशभर में 6589 साइबर क्राइम मामले हुए दर्ज


बता दें कि बीते साल में ही प्रदेशभर में 6589 साइबर क्राइम के मामले दर्ज किए गए। जिसमें राजधानी लखनऊ में सबसे ज्यादा 1036 साइबर क्राइम के मामले दर्ज हुए। साल दर साल बढ़ता साइबर क्राइम उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए एक नई चुनौती है। आने वाले साल में जहां एक तरफ इंटेलिजेंस, एसटीएफ और एटीएस की तर्ज पर एडीजी स्तर के अफसर की निगरानी में साइबर क्राइम विंग बनाई जाएगी। वहीं, उत्तर प्रदेश पुलिस एक एनजीओ का गठन कर नोएडा में साइबर कवच की भी शुरुआत करेगी। कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी मॉडल के तहत इस साइबर कवच के जरिए स्कूल-कॉलेज में जाने वाले बच्चों को साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूक किया जाएगा।