अयोध्या: इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने अयोध्या के धन्नीपुर में मिली भूमि पर मस्जिद की संकेतिक शुरुआत कर दी है. सबसे पहले गणतंत्र दिवस के दिन भारत का झंडा फहराया गया और राष्ट्र गीत गाया गया. इसके बाद फाउंडेशन के सभी 9 सदस्यों ने एक-एक पौधरोपण किया और मस्जिद की सांकेतिक शुरुआत की. यहां पर मस्जिद के अलावा एक लाइब्रेरी, एक रिसर्च सेंटर और कम्युनिटी किचन भी बनाया जाएगा. इस किचन में किसी को भी भोजन करने की इजाजत होगी और इसकी क्षमता प्रतिदिन 1000 लोगों की होगी.
नजर आई अयोध्या की खूबसूरती
मस्जिद की संकेतिक शुरुआत के मौके पर राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कुछ मुस्लिम वर्ग के लोगों के साथ-साथ वो हिंदू भी शामिल थे जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन के लिए संघर्ष किया था. यही अयोध्या की खूबसूरती है और यही अयोध्या की तहजीब भी. गणतंत्र दिवस के दिन अयोध्या की खूबसूरती को और चार चांद लग गए. ये तारीख अयोध्या की तारीख के रूप में सुनहरे माइलस्टोन के रूप में दर्ज गई है.
स्वायल टेस्टिंग का काम शुरू हो गया है
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के अध्यक्ष जफर फारूकी ने बताया कि मस्जिद के निर्माण के लिए हमें अभी टेक्निकल डिटेल चाहिए होगी. आज काम शुरू है. नक्शा अप्रूव होने के बाद आगे का काम शुरू कर देंगे. मस्जिद के साथ-साथ एक हॉस्पिटल, एक लाइब्रेरी, एक म्यूजियम, एक कम्युनिटी किचन और एक रिसर्च सेंटर है. आज हमने सिर्फ झंडारोहण और वृक्षारोपण किया है. स्वायल टेस्टिंग का काम शुरू हो गया है.
30 महीने में मस्जिद निर्माण पूरा कर लेंगे
इंडो इस्लामिक कल्चर ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि आज हम लोगों ने यहां धन्नीपुर मस्जिद की संकेतिक शुरुआत कर दी है. जिसके तहत हमने यहां पर एक कार्यक्रम किया है. ध्वजारोहण और पौधारोपण किया गया है. हम एक मस्जिद बना रहे हैं उसके साथ में एक हॉस्पिटल है 200 बेड का और एक इंडो इस्लामिक कल्चर रिसर्च सेंटर है. एक म्यूजियम, एक लाइब्रेरी, एक पब्लिकेशन हाउस के साथ-साथ एक कम्युनिटी किचन होगा. 30 महीने में मस्जिद निर्माण पूरा कर लेंगे और हमारे 9 ट्रस्टी हैं.
इंसानियत से बड़ा कोई जज्बा नहीं हो सकता
लखनऊ में इमाम पुराने टीले वाली मस्जिद के इमाम सैयद वासिफ हसन ने कहा कि हम गंगा-जमुनी तहजीब की बात करते हैं, हमारा मुल्क एक गुलदस्ता है. यही चीज होनी चाहिए. सबको मिलकर एक दूसरे से प्यार और मोहब्बत के साथ रहना चाहिए. मुझे बुलाया तो मैं भी खिदमत में हाजिर हो गया हूं. ट्रस्ट के लोगों को मुबारकबाद है, इन्होंने मस्जिद के साथ-साथ जो हॉस्पिटल, कॉमन किचन की जो बात की है वो इंसानियत की मिसाल है. इंसानियत से बड़ा कोई जज्बा नहीं हो सकता है.
ये भी पढ़ें: