काशी में धनतेरस पर उमड़ा भक्तों का सैलाब, भगवान धन्वंतरि के दर्शन कर मांगी निरोगी रहने की कामना
Bhagwan Dhanvantari Mandir in Varanasi: दीपावली से पहले धनतेरस का पर्व काफी खास होता है. इस दिन लोग सुख, समृद्धि और धन के लिए पूजा करते हैं. इस मौके पर भगवान धन्वंतरि के दर्शन खास हैं.
Varanasi News Today: काशी को विश्व की प्राचीन नगरी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि यह शहर ने आज भी प्राचीन से लेकर अब तक कई विरासतों को अपने में संजोए हुए हैं. काशी के साथ पूरे देश में दीपावली का पर्व पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है.
इसी तरह काशी में भगवान धन्वंतरि के दर्शन करने की प्राचीन परंपरा है. इसको लेकर मान्यता है कि लोगों को असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है. भगवान धन्वंतरि की मूर्ति वाराणसी के चौक स्थित सुड़िया क्षेत्र में स्थापित है.
दीपावली के पहले दिन भगवान धन्वंतरि के दर्शन के लिए भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा. लोगों ने इस खास मौके पर भगवान धन्वंतरि से निरोगी रहने का आशीर्वाद प्रदान करने के लिए प्रार्थना की.
सिर्फ काशी में है धन्वंतरि मंदिर
भगवान धनवंतरी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और इन्हें आरोग्य का देवता भी कहा जाता है. काशी के चौक स्थित सुड़िया क्षेत्र में भगवान धन्वंतरि का मंदिर है. जिसे पूरे साल में एक बार दीपावली के प्रथम दिन बड़ी संख्या में लोग जटिल रोगों से मुक्ति के लिए आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं.
विश्व का सबसे प्राचीन नगरों में शुमार काशी में 325 साल पहले भगवान धन्वंतरि की मूर्ति स्थापित की गई थी. यह मूर्ति वैद्य कन्हैया लाल के जरिये स्थापित की गई थी, तब से लेकर आज तक उनकी दसवीं पीढ़ी के जरिये विधि विधान से इनका पूजन किया जाता है.
भगवान धन्वंतरि के मंदिर के ठीक बगल में भगवान धन्वंतरि निवास स्थल पर आयुर्वेद की चिकित्सा उपलब्ध है. जहां प्राचीन समय से अल्जाइमर, न्यूरो, सांस लेने संबंधी समस्या समेत अन्य जटिल रोगों का इलाज भी आयुर्वेदिक पद्धति से किया जाता है.
अष्ट धातु से बनी है मूर्ति
पूरे साल में एक बार दीपावली के पहले दिन धनतेरस को भगवान धन्वंतरि के दर्शन करने का अवसर भक्तों को प्राप्त होता है. काशी ही नहीं दूर दराज से भी भक्त यहां पर दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.
यहां भगवान धन्वंतरि की अष्टधातु से निर्मित मूर्ति स्थापित है, जिसमें चार भुजाएं स्पष्ट होती हैं. चारों भुजाओं में एक हाथ में शंख है, दूसरे हाथ में कलश, तीसरे हाथ में जोंक जबकि चौथे हाथ में चक्र शल्य है.
यह सभी वस्तु पूरी चिकित्सा पद्धति को दर्शाते हैं. साल में एक बार भगवान धन्वंतरि के दर्शन करने को लेकर भक्त काफी उत्सुक रहते हैं और वहां के प्रसाद प्राप्त कर आरोग्यवान जीवन प्राप्ति के लिए प्रयासरत होते हैं.