Dilip Kumar Prayagraj connection:  ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार का संगम नगरी प्रयागराज से वैसे तो कोई सीधा जुड़ाव नहीं था, लेकिन वह यहां की सिंवइयों के ज़बरदस्त मुरीद थे. प्रयागराज की बनी हुई सिंवई उन्हें इस कदर पसंद थी कि अक्सर ही उसे वह मुंबई मंगाया करते थे. महफ़िलों में वह अक्सर ही यहां की सिंवई का जिक्र किया करते थे. यहां की सिंवई के वह इस कदर दीवाने थे कि करीब पैंतालीस साल पहले उन्होंने यहां के कारोबारी को अपने नाम और तस्वीर का इस्तेमाल करने की लिखित इजाज़त तक दे दी थी. कारोबरी का परिवार भी दिलीप साहब के सिंवई प्रेम से इतना खुश हुआ कि उसने अपनी सिंवई का ब्रांड दिलीप कुमार के नाम पर ही कर दिया. दिलीप कुमार का नाम जुड़ने और उनसे कई बार यहां की सिंवई की तारीफ़ सुनने के बाद प्रयागराज की दिलीप सिंवई आज देश के कोने -कोने में सप्लाई होने के साथ ही कई दूसरे मुल्कों में भी जाती है.  


इस तरह शुरू हुआ सिंवई का किस्सा


साठ के दशक में फ़िल्म मुग़ल- ए-आज़म की ज़बरदस्त कामयाबी के बाद दिलीप कुमार को कहीं सिंवई खाने का मौका मिला. यह सिंवई उन्हें खूब पसंद आई. उन्हें पता चला कि, यह उस वक़्त के इलाहाबाद शहर से आई है. सिंवई जिस फैक्ट्री की बनी थी, उसके मालिक मोहम्मद हनीफ और उनका पूरा परिवार भी दिलीप कुमार का ज़बरदस्त फैन था. हनीफ को करीब पैंतालीस साल पहले जब दिलीप कुमार के अपने सिंवई प्रेम के बारे में पता चला तो यहां से ढेर सारी सिंवई लेकर वह मुंबई चले गए. तीन -चार दिन की कड़ी मशक्कत के बाद हनीफ जब दिलीप कुमार से मिलकर उन तक अपनी सिंवई पहुंचाने में कामयाब हुए तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. दिलीप कुमार ने उनसे सिंवई लगातार भेजते रहते की इच्छा जताई. 


सिंवई का नाम पड़ा दिलीप कुमार


दिलीप कुमार के सिंवई प्रेम को देखकर कारोबारी हनीफ ने अपनी सिंवई का ब्रांड उनके नाम पर ही रखने की इजाज़त मांगी. उस वक़्त के बड़े सुपर स्टार्स में शुमार दिलीप कुमार ने कारोबारी हनीफ को अपना नाम और तस्वीर इस्तेमाल करने की लिखित परमीशन दी. शर्त सिर्फ इतनी थी कि हनीफ हर थोड़े दिनों में उन्हें अपने यहां बनी सिंवई भेजते रहेंगे. इलाहाबाद वापस लौटकर हनीफ ने अपनी सिंवई दिलीप कुमार के नाम पर कर दी. तब से हर साल ईद -बकरीद व दूसरे मौकों पर दिलीप सिंवई दिलीप कुमार के घर भेजी जाती रही है. हनीफ के इस कारोबार को अब तीसरी पीढ़ी आगे बढ़ा रही है. कारोबार संभालने वाले शहनवाज़ का कहना है कि दिलीप कुमार का उनके परिवार से जो रिश्ता पैंतालीस साल पहले जुड़ा था, वह आगे भी बरकरार रहेगा. शहनवाज़ के मुताबिक़ चालीस साल पहले एक मुशायरे में दिलीप कुमार जब इलाहाबाद आए थे तो उन्होंने मंच से यहां के अमरूदों के साथ ही सिंवइयों की भी जमकर तारीफ़ की थी. पार्षद परवेज़ अख्तर अंसारी के मुताबिक़ सिंवई और अमरुद की मिठास के बहाने वह इलाहाबाद के लोगों को काफी पसंद करते थे और उनसे ख़ासा स्नेह जताते थे. 


बंद रखा गया कारखाना


प्रयागराज में दिलीप कुमार के नाम पर सिंवइयों का जो कारखाना चलता है, उसे आज उनके निधन की ख़बर मिलने के बाद श्रद्धांजलि देने के बाद शोक में बंद कर दिया गया. कारखाने से जुड़े लोगों ने आज दिलीप साहब की तस्वीरों के सामने मोमबत्ती जलाकर नम आंखों से उन्हें याद किया और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी. दिलीप कुमार के नाम पर चलने वाला सिंवइयों का कारखाना प्रयागराज शहर के तुलसीपुर इलाके में है. कारखाने के साथ ही प्रयागराज के आम नागरिक भी उनके निधन से ग़मज़दा हैं. कहा जा सकता है कि सीधे कोई जुड़ाव न होने के बावजूद दिलीप कुमार ने गंगा जमनी तहजीब वाले इलाहाबाद शहर से सिंवइयों और अमरुद की मिठास के ज़रिये अपना रिश्ता जोड़ रखा था.


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