Uttarakhand News: उत्तराखंड पुलिस विभाग में शीर्ष नेतृत्व के बदलाव की तैयारी एक बार फिर जोर पकड़ रही है. प्रदेश के 12वें कार्यकारी डीजीपी के रूप में 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार की ताजपोशी 30 नवंबर 2023 को की गई थी. यह नियुक्ति तब हुई जब पांच राज्यों में डीजी रैंक के अधिकारियों की कमी के कारण सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कार्यकारी डीजीपी नियुक्त करने का विकल्प अपनाया गया. इसके तहत, उन अधिकारियों को प्राथमिकता दी गई जो एडीजी रैंक में थे और 25 साल की सेवा पूरी कर चुके थे. इस प्रकार अभिनव कुमार को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी.


इस नियुक्ति के लगभग 10 महीनों बाद प्रदेश में एक स्थायी डीजीपी की नियुक्ति की चर्चा फिर से तेज हो गई है. तीन दिन पहले नियमित डीजीपी के चयन के लिए डीपीसी (विकास प्रस्ताव समिति) की बैठक हुई, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों के नामों पर विचार-विमर्श किया गया. डीपीसी ने तीन नाम यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) को भेजे हैं. इन तीन नामों में मौजूदा कार्यकारी डीजीपी अभिनव कुमार का नाम शामिल नहीं है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनके स्थान पर नए नामों पर विचार किया जा रहा है.


DGP के नाम पर सस्पेंस बरकरार
सूत्रों के अनुसार, इस बार की सूची में 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ का नाम भी शामिल है, जिन्होंने हाल ही में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है. सेठ की वरिष्ठता और अनुभव को देखते हुए उनकी उम्मीदवारी पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उनके कार्यकाल को आगे बढ़ाया जाएगा या वह प्रदेश के 13वें डीजीपी के रूप में नियुक्त होंगे.


अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी चर्चा में हैं, जिनमें प्रदेश कैडर के ही अनुभवी अधिकारी शामिल हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से किसके सिर प्रदेश के नए डीजीपी का ताज सजता है. हालांकि मौजूदा कार्यकारी डीजीपी अभिनव कुमार का नाम चर्चाओं में नहीं है, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय अगले 10 दिनों में होने की संभावना है. नए डीजीपी के चयन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है, और यह स्पष्ट है कि प्रदेश का नया डीजीपी कौन होगा, यह जल्द ही पता चल जाएगा.


इस प्रक्रिया के दौरान, सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों और पुलिस विभाग में शीर्ष पद पर नियुक्ति से जुड़े कानूनों का सख्ती से पालन किया जा रहा है. उत्तराखंड में नए डीजीपी की नियुक्ति पुलिस प्रशासन और कानून व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जो भविष्य में प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था और अपराध नियंत्रण की दिशा को भी प्रभावित करेगा.


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