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जेवर एयरपोर्ट के लिए विस्थापित किये गये किसानों का दर्द, कॉलोनी में बने मकानों की हालत हुई बदतर

जेवर एयरपोर्ट के लिए विस्थापित किये गये किसानों के लिए बड़ा संकट सामने आया है. पहली बारिश में ही नई कालोनियों में बने मकानों में दरार आ गई है. इसके अलावा सड़कें बनने से पहले ही टूट गई हैं.

Farmers Problem in Jewar: ग्रेटर नोएडा में मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने जा रहा है. जेवर एयरपोर्ट के अंदर आने वाले लगभग 6 गांवों को दूसरी जगह सेक्टर बनाकर विस्थापित किया जा रहा है. हल्की सी बरसात ने यमुना प्राधिकरण की पोल खोल दी है. शिफ्ट किए जा रहे ग्रामीणों के घरों में बनने से पहले ही हल्की सी बरसात से दरार आ गई है. कई जगह दीवारें गिर गई हैं और सड़कें टूट गई हैं. जगह-जगह पानी भर गया है. किसान ग्रामीण इस तपती गर्मी और बरसात में खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं. ना बिजली है, ना पानी है और ना ही शौचालय है. अभी तक ग्रामीण पूरी तरह से मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. 

मूलभूत सुविधाएं भी नहीं

राजधानी दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनने जा रहा है, जो जेवर में बनने जा रहा है. इसके अंतर्गत आने वाले 6 गांवों को सेक्टर बनाकर शिफ्ट किया जा रहा है. लगभग 3000 परिवारों को इस सेक्टर में बसाया जाएगा. किसानों को इस सेक्टर में बसाने का काम किया जा रहा है. आधी अधूरी तैयारियों के साथ प्रशासन और यमुना प्राधिकरण ने गांव में बने किसानों के आशियाने को पहले जेसीबी चलाकर उजाड़ दिया. विस्थापित किसानों के लिए अभी वहां पर बिजली, पानी, शौचालय नहीं बने हैं.

सड़कें टूटी, मकानों की दीवरों पर दरार 

मूलभूत सुविधाओं से ग्रामीण वंचित हैं. एक दिन की हल्की सी बरसात क्या हुई, प्राधिकरण की पोल खोल कर रख दी. सड़कों में जगह-जगह पानी भर गया सड़कें टूट गई, और इस कॉलोनी के अंदर बना रहे घरों की दीवारों में दरारे आ गईं. कहीं, दीवारें गिर गई तो कहीं छत गिर गई. यानी कि प्रशासन की आधी अधूरी तैयारियों से किसानों का आशियाना बनने से पहले ही बिखरने लगा है. किसानों का कहना है कि प्राधिकरण ने जल्दबाजी में हमारे गांव के घरों को खाली कराकर तोड़ दिया. इस कोविड-19 और बरसात में किसान प्राधिकरण की लापरवाही से खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं.

किसानों ने कहा-मानकों पर काम नहीं किया गया

किसानों का कहना है कि, यहां पर किसानों को बसाने के लिए सेक्टर बनाए गए हैं, लेकिन यह सेक्टर सही तरीके से मानकों पर काम नहीं किया गया. सड़कें भी कुछ ही महीनों में टूटने लगी हैं. मकानों में दरार आ रही हैं. मिट्टी को प्रॉपर तरीके से नहीं दबाया गया, जिसकी वजह से मकानों के अंदर दरारे आना शुरू हो गई हैं. कालोनी में बने कई मकानों की दीवार गिर गई है. हालांकि प्राधिकरण ने किसानों को मैटेरियल का अलग से पांच लाख रुपये दिया था. 

किसानों का कहना है कि, जेवर में बन रहे किसानों के लिए सेक्टर में यमुना प्राधिकरण के ठेकेदार ने लापरवाही से काम किया है. जिसकी वजह से सड़के बनने से पहले ही टूटने लगी हैं. मकानों के अंदर दरारे आ गई हैं, कई मकानों की दीवार गिर गई है. सड़कों को पूरी तरह से मानकों पर नहीं बनाया गया. सड़क बनाते समय उनमें मैटेरियल सही नहीं लगाया गया. सेक्टर की मिट्टी बरसात के करण बैठने लगे हैं. कई जगह सड़कों में पानी भर गया है.

अधिकारियों ने नहीं बताया, क्या निकला सैंपल की जांच में

एबीपी गंगा ने जेवर एयरपोर्ट के विस्थापित किसानों की खबर को फरवरी माह में दिखाया था, कि किस तरह से वहां पर प्राधिकरण के ठेकेदार लापरवाही से काम कर रहे हैं. किसानों के लिए बन रहे सेक्टर में मानकों के अनुरूप काम नहीं किया जा रहा था. यमुना प्राधिकरण के एसीईओ रविंद्र कुमार जीएम केके सिंह ने टीम ले जाकर वहां पर निरीक्षण किया था. वहां पर बन रहे सामान के मटेरियल के सैंपल लिए थे, लेकिन बार-बार पूछने पर भी प्राधिकरण के अधिकारियों ने उस सेक्टर में बन रहे सैंपल की जांच क्या रही, नहीं बताया. उस जांच में क्या रहा? 

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