जेवर एयरपोर्ट के लिए ज़मीन अधिग्रहण का विवाद पहुंचा हाईकोर्ट, यूपी सरकार से जवाब तलब
जेवर एयरपोर्ट के लिये सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन के लिये किसानों के मुआवजे का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। किसानों ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार ने उन्हें जमीन के बदले कम मुआवजा दिया। यही नहीं जमीनों का नेचर बदला गया।
प्रयागराज, एबीपी गंगा। पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट यूपी में प्रस्तावित जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के ज़मीन अधिग्रहण का विवाद अब इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। कई किसानों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर यह आरोप लगाया है कि यूपी सरकार ने कम मुआवज़ा देने के लिए उनकी जमीनों का नेचर मनमाने तरीके से बदल दिया। जमीनों का नेचर बदले जाने से किसानों को सिर्फ आधा मुआवजा ही मिला है। किसानों की इस अर्जी पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार और यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी को नोटिस जारी जवाब तलब कर लिया है। अदालत इस मामले में अब अठारह नवंबर को फिर से सुनवाई करेगी। किसानों ने जमीन के अधिग्रहण को रद्द किये जाने और रद्द न होने की सूरत में ग्रामीण क्षेत्रों के मुताबिक सर्किल रेट का चार गुना ज़्यादा मुआवजा दिए जाने की मांग की है। अगर किसानों का आरोप सही है तो यह किसानों की हितैषी होने का दंभ भरने वाली योगी सरकार के लिए बड़ा झटका होगा।
दरअसल नये भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के मुताबिक जमीनों का अधिग्रहण किये जाने पर शहरी क्षेत्र के लोगों को सर्किल रेट का दो गुना और ग्रामीण क्षेत्र की जमीनों पर चार गुना मुआवजा दिए जाने का नियम है। किसानों का आरोप है कि यूपी सरकार ने जेवर एयरपोर्ट के लिए पिछले साल ज़मीन अधिग्रहण से पहले सात गांवों की ज़मीनों का नेचर बदल दिया था। ग्रामीण इलाकों की जमीन का नेचर बदलकर उसे इंडस्ट्रियल एरिये में तब्दील कर दिया।
इंडस्ट्रियल एरिये में तब्दील होने से वह शहरी इलाके में आ गई और किसानों को चार गुना के बजाय सिर्फ दो गुना मुआवजा दिया गया। जमीनों का नेचर सिर्फ पांच महीने पहले ही बदला गया था। आरोप है कि इससे सरकार ने करोड़ों रूपये बचा लिए थे। किसानों के वकील गौतम उपाध्याय के मुताबिक़ अदालत इस मामले में अठारह नवंबर को फिर से सुनवाई करेगी।