पीलीभीत में जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त, कमीशन खोरी के चक्कर में खर्च नहीं हो पाया 50 करोड़ का बजट
पीलीभीत जिला पंचायत अध्यक्ष आरती महेंद्र ठेकेदारों से मोटे कमीशन की एडवांस डिमांड करती रहीं. डिमांड पूरी न होने के चलते पिछले दो सालों से बार-बार विकास कार्यों की निविदाओं को निरस्त करती रहीं. ऐसे में 50 करोड़ रुपयों के बजट के विकास कार्य हो ही नहीं पाए.
पीलीभीत: प्रदेश भर की जिला पंचायत अध्यक्षों का कार्यकाल 13 जनवरी को खत्म हो गया है लेकिन पीलीभीत की जिला पंचायत अध्यक्ष 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट विकास कार्यों पर खर्च ही नहीं कर पाईं. जिला पंचायत सदस्यों का कहना है कि अध्यक्ष जिला पंचायत आरती महेंद्र की कार्य प्रणाली के चलते दो साल से जिला विकास से महरूम रहा है. आरोप है कि आरती महेंद्र अपने चहेते ठेकेदारों से मोटे कमीशन की एडवांस डिमांड पूरी न होने के चलते पिछले दो सालों से बार-बार विकास कार्यों की निविदाओं को निरस्त करती रहीं, ऐसे में 50 करोड़ रुपयों के बजट के विकास कार्य हो ही नहीं पाए और अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हो गया.
मार्च में शासन को वापिस हो जाएंगे रुपये अब प्रशासक की नियुक्ति होने के बाद 2 माह में 50 करोड़ के विकास कार्य होने हैं. अगर प्रशासक भी ये रुपया खर्च नहीं कर पाया तो ये 50 करोड़ रुपये मार्च में शासन को वापिस हो जाएंगे. जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी ने अब बजट को विकास कार्यों में खर्च करने का भरोसा दिलाया है.
अब 2 फरवरी तक टेंडर कर दिए जाएंगे अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत पीलीभीत जागन सिंह ने बताया कि 13 जनवरी की मध्य रात्रि को जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हो गया है. 50 करोड़ का बजट होने के वावजूद किन्हीं कारणों की वजह से टेंडर नहीं हो पाए थे, लेकिन अब 2 फरवरी तक टेंडर कर दिए जाएंगे.
जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ा जिला पंचायत सदस्य हरप्रीत सिंह चब्बा का कहना है कि जिला पंचायत बोर्ड ने बजट दिया और प्रस्ताव पास भी किए लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष आरती महेंद्र की तरफ से ई-टेंडरिंग पर भी रोक लगाई गई. कमीशन खोरी के चक्कर में अध्यक्ष 30 प्रतिशत कमीशन की डिमांड कर रहीं थीं जिसको लेकर जिला पंचायत कमीशन का अड्डा बन गया. इसलिए. पंचायत के विकास कार्यों में जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ा. मामले की शिकायत शासन में की गई जिसमें अध्यक्ष समेत अधिकारी भी दोषी पाए गए, लेकिन कोई कार्यवाई नहीं हुई.
शासन के निर्देशों का पालन नहीं किया जिला पंचायत सदस्य असलम जावेद ने बताया कि जिला पंचायत अध्यक्ष ने मोटी कमीशन खोरी के चलते ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया को नहीं अपनाया और बार-बार निविदाएं निरस्त कर दी गईं. बीते 2 साल का बजट करीब 50 करोड़ था जिसको पंचायत अध्यक्ष ने खर्च नहीं होने दिया. यहां तक कि शासन के निर्देशों का भी अध्यक्ष ने पालन नहीं किया.
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