Uttarakhand News: दिवाली पर उल्लू को बचाने के लिए रद्द हुई वन विभाग के कर्मचारियों की छुट्टी, जानें क्या है इसका कारण
Uttarakhand News: उत्तराखंड में दिवाली के मौके पर उल्लू का शिकार काफी लंबे समय से होता रहा है. जिसे रोकने के लिए वन विभाग ने अपने कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं.
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Uttarakhand News: दिवाली के मौके पर उत्तराखंड में उल्लू का शिकार पड़े पैमाने पर होता था. इसे रोकने के लिए वन विभाग ने साल दर साल कड़ी मेहनत कर इसपर लगाम लगाई है, लेकिन अभी भी उल्लू के शिकार का खतरा लगातार बना रहता है. दिवाली और अमावस के मौके पर शिकारी इनका शिकार करने जंगल में घुस आते हैं. इनको बचाने के लिए वन महकमा लगातार प्रयास कर रहा है.
दिवाली से पूर्व कॉर्बेट पार्क और उसके आस-पास तमाम कर्मचारियों की छुट्टियां निरस्त कर दी गई है, साथ ही जंगल पर नजर बनाए रखने के आदेश जारी किए गए हैं. कॉर्बेट पार्क में लगे 8 हाई क्वालिटी के सीसीटीवी कैमरों से जंगल पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है. ये कैमरे कॉर्बेट नेशनल पार्क से लगी उत्तर प्रदेश की सीमाओं तक नजर रखते हैं. इनकी मदद से कॉर्बेट नेशनल पार्क के कई किलोमीटर के क्षेत्र में नजर रखी जाती है. इसके बावजूद अन्य इलाकों में पैदल गस्त कर जंगल में नजर रखी जा रही है.
दिवाली पर उल्लू का शिकार
आपको बता दें जादू टोने के लिए उल्लू और अन्य जानवरों का शिकार पहले से होता आ रहा है. इसे रोकने के लिए वन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. दिवाली से पहले शिकारी उल्लू का शिकार शुरू कर देते हैं, इसे पकड़ने के लिए जंगल के अंदरूनी इलाकों तक शिकारी पहुंच जाते हैं. वन महकमें ने इस बार जंगल के चप्पे-चप्पे पर कर्मचारियों को तैनात किया है और किसी भी अनजान व्यक्ति को जंगल में घुसने की इजाजत नहीं है. उल्लू के शिकार के लिए न केवल उत्तराखंड बल्की उत्तर प्रदेश व अन्य इलाकों से शिकारी भेष बदलकर यहां पहुंचते हैं. जिन्हें पकड़ने के लिए वन महकमा हजारों की संख्या में अपने कर्मचारियों को तैनात किया है.
वन विभाग कर रहा शिकार रोकने के प्रयास
उल्लू वैसे तो हिंदू धर्म के अनुसार मां लक्ष्मी का वाहन है, लेकिन कुछ तंत्र विद्या के लिए उल्लू की बलि देने का कार्य काफी पहले से होता आ रहा है. उल्लू का बड़े पैमाने पर शिकार हुआ. जिससे धीरे-धीरे इनकी संख्या घटती जा रही है. वन्य जीव प्रेमी और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर प्रज्वल ने बताया कि उल्लू की कई प्रजातियां पहले यहां हुआ करती थी लेकिन जिस तरह से उनका शिकार हुआ.
धीरे-धीरे उनकी संख्या कम होती जा रही है. फिलहाल इस बार वन महकमा पहले से ज्यादा सतर्क दिखाई दे रहा है और उम्मीद है कि इस बार किसी भी प्रकार से किसी पशु पक्षी को हानि नहीं पहुंचेगी.
उत्तराखंड में उल्लू की 16 प्रजातियां
उत्तराखंड में उल्लू की कई प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन धीरे-धीरे उनकी संख्या घटती जा रही है, उत्तराखंड में उल्लू की लगभग 16 प्रकार की प्रजातियां पायी जाती हैं, जिनमें से जंगल आउलेट, स्पॉटेड आउलेट, ब्राउन फिश आउल, इण्डियन ईगल आउल, स्पॉट बैलिड ईगल आउल, टोनी फिश आउल हैं. शिकारी की नजर इन उल्लुओं पर हर साल बनी रहती है जबकि उनको बचाने की जिम्मेदारी वन महकमें के पास है.
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