Diwali 2024 Right Date: प्रकाश पर्व दीपावली नजदीक है, पूरे उत्साह और उमंग के साथ देश भर में इसकी तैयारियां जारी हैं. इस बार दीपावली से जुड़े पांच पर्व की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति भी रही है. देशभर के विद्वान और ज्योतिषाचार्य ने दीपावली पर्व के निर्धारित तिथि को लेकर अपने विचार भी व्यक्त किए हैं. 


इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में दीपावली पर्व 29 अक्टूबर धनतेरस से प्रारंभ होकर 3 नवंबर भैया दूज तक मनाया जाएगा. इसको लेकर एबीपी न्यूज़ ने काशी के धर्माचार्यों से बातचीत की. दीपावली को लेकर एबीपी न्यूज़ ने काशी के धर्माचार्य पंडित संजय उपाध्याय से बातचीत की तो इस दौरान उन्होंने बताया कि प्रकाश पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और 29 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. 


उन्होंने बताया कि इस दिन सोने-चांदी आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, बर्तन झाडू की खरीदारी की जाती है, जिससे माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा होती है. धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी गणेश और कुबेर जी के पूजा करने की मान्यता है. इसके ठीक बाद कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है, जिसे हम सभी छोटी दीपावली भी कहते हैं. इसी दिन हनुमान जयंती भी धूमधाम से मनाई जाती है और इस बार छोटी दीपावली 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी.


31 अक्टूबर को मनाई जाएगी दीपावली 


काशी के धर्माचार्य ने बताया कि प्रदेश में 31 अक्टूबर गुरुवार के दिन दीपावली मनाए जाने की तिथि है. दीपावली कार्तिक माह के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. प्रदोष काल के बाद की तिथि 31 अक्टूबर को शाम लगभग 4:00 बजे से लेकर 6:15 तक है. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है. घरों और अपने नगर को दीपक-लाइट से भव्य रूप से सजाया जाता है.


पंडित संजय चतुर्वेदी ने बताया कि इस बार 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा मनाया जाएगा. गोवर्धन पूजा में भगवान श्री कृष्ण के लीलाओं से जुड़े पूजन को पूर्ण किया जाता है. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है.


3 नवंबर को मनाया जाएगा भाई दूज 


5 दिन के दीपावली पर्व में अंतिम दिन भाई दूज मनाने की परंपरा है. इस बार उत्तर प्रदेश में 3 नवंबर को भाई दूज मनाई जाएगी. इस दिन बहनों द्वारा अपने भाई की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए उन्हें अपने घर पर भोजन कराने की परंपरा है. इस दिन मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को परास्त करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने के लिए पहुंचे थे और तभी से दीपावली पर्व के अंतिम दिन को भाई दूज के रूप में मनाने की परंपरा है.


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