Lucknow News: उत्तर प्रदेश में नौकरी करने वाले डॉक्टरों को 2 साल के सेवा बॉन्ड से राहत मिलने वाली है. जो डॉक्टर एमबीबीएस के बाद प्रदेश में ही नौकरी करेंगे उन्हें सेवा बॉन्ड से राहत मिलेगी. वहीं अगर वे दो साल से पहले नौकरी छोड़कर दूसरे राज्य में जाते हैं तो उन्हें सेवा बॉन्ड का बचा हुआ समय पूरा करना होगा. इस फैसले को लेकर यूपी चिकित्सा शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर दिया.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में साल 2018 बैच के एमबीबीएस और पीजी के छात्रों पर अनिवार्य रुप से सेवा बांड का नियम लागू है. इसके तहत जो भी छात्र सरकारी कॉलेज से एमबीबीएस, एमडी, एमएस या डीएम-एमसीएच की डिग्री ले रहे हैं उन डॉक्टरों को 2 साल के लिए प्रदेश के किसी सरकारी अस्पताल में अपनी सेवा अनिवार्य हैं. अगर वे सेवा नहीं देते हैं तो उन्हें सरकारी कोष में पेनाल्टी जमा करनी होगी.
पांच हजार डॉक्टरों को मिलेगा फायदा
आमतौर पर एमबीबीएस के बाद जिन डॉक्टरों का चयन नीट पीजी के लिए नहीं होता वह शासकीय सेवा में जाना चाहते हैं पर अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) नहीं मिलने से वे नौकरी नहीं कर पाते हैं, पर अब चिकित्सा शिक्षा विभाग इसमें राहत दे रहा है. सरकार के इस फैसले से करीब 5000 डॉक्टरों को फायदा होने वाला है.
सीजीएचएस सहित अन्य किसी भी भर्ती बोर्ड से अगर किसी डॉक्टर का चयन उत्तर प्रदेश के अस्पताल में होता है तो उसे अनिवार्य शासकीय सेवा बॉन्ड से राहत मिलेगी पर तब उसे 2 साल तक प्रदेश के अस्पताल में सेवाएं देनी होगी. वहीं अगर एमडी के लिए किसी डॉक्टर का चयन किसी निजी कॉलेज में होता है तो उसे एमडी की पढ़ाई में छूट मिलेगी पर एमडी का कोर्स पूरा करने के बाद उसे एमबीबीएस बॉन्ड सेवा पूरी करनी होगी.
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