Uttarakhand News: आपदा प्रभावित क्षेत्र मांडों में पानी के नल से मेंढक आने पर ग्रामीणों ने कड़ा आक्रोश व्यक्त किया है. वहीं आज ग्रामीणों ने जलसंस्थान के अधिशासी अभियंता का घेराव किया. अक्सर पानी के नलों से मेंढक और जानवरों के अवशेष आ रहे हैं. गंदले पानी की आपूर्ति से जल जनित रोग की आंशका बनी हुई है.


बीते 18 जुलाई को मांडों गांव में आपदा आई थी, जिसमें दो महिलाओं सहित एक बच्ची की मौत हो गई थी. आपदा के कारण गांव के रास्ते, विद्युत लाइन और पेयजल लाइने भी क्षतिग्रस्त हो गई थीं. करीब 6 माह बाद भी आपदा प्रभावित गांव में पेयजल व्यवस्था सुचारू नहीं हो पाई है. आज मांडो के ग्रामीण जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे. जहां ग्रामीणों ने बताया कि गांव में गंदे पेयजल की आपूर्ति की जा रही है. पानी के नल से मेंढक आदि आ रहे हैं. ग्रामीण एक नल का टुकड़ा भी साथ में लाए थे, जिसमें मेंढक फंसा हुआ था. ग्रामीणों ने जल संस्थान पर गांव में पेयजल लाइन बिछाने के कार्य में उदासीनता बरतने का आरोप भी लगाया.


अधिशासी अभियंता ने कही ये बात


इस मामले में अधिशासी अभियंता का कहना है कि आपदा के दौरान पानी की पाइप लाईन टूट गई थी, जिस कारण से हैंडपंप की बोरिंग में पाईप डाला गया ताकि ग्रामीणों को पीने के पानी की समस्या ना हो, लेकिन वाटर लेवर कम होने के बाद ग्राम प्रधान से कहने पर गधेरा के पानी को उससे जोडा गया, ताकि पशुओं को पानी पीने और कपड़े धोने की वैकल्पिक व्यवस्था की जा सके. लेकिन अब ग्रामीण कुछ समस्या लेकर आए हैं, जिसका जल्द ही हल कर दिया जाएगा. ग्रामीणों ने जल्द गांव में पेयजल लाइन बिछाने का कार्य पूर्ण ना किए जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.


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