Uttarakhand News: ओंकारेश्वर मंदिर से कैलाश के लिए रवाना हुई मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली, जानिए कब खुलेंगे कपाट
Madmaheshwar Doli: 22 मई को द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट खुलेंगे. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से कैलाश के लिए धूमधाम से रवाना हुई.
Uttarakhand News: भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से कैलाश के लिए रवाना हो गयी है. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर सैकड़ों भक्तों ने पुष्प-अक्षत्रों से बाबा की डोली को विदा किया और लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर विश्व समृद्धि की कामना की. बता दें कि द्वितीय केदार के नाम से मशहूर मदमहेश्वर मंदिर समुद्र तल से 3490 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. मदमहेश्वर धाम में भगवान शंकर की नाभि की पूजा होती है. भगवान शिव को समर्पित मदमहेश्वर मंदिर की यात्रा काफी कठिन है. यात्रियों को धाम तक पहुंचने के लिए चुनौतीपूर्ण रास्तों से होकर जाना होता है.
भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली रवाना
मदमहेश्वर मंदिर भारत के सबसे पुराने धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है. आज सुबह द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से कैलाश के लिए रवाना हुई. इससे पहले मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी बांगेश लिंग ने 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान किया और भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को परंपरानुसार चल डोली में विराजमान किया. दस्तूरधारी गांवों के ग्रामीणों की ओर से भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी गई. रावल भीमाशंकर लिंग सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मंगोलचारी तक भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली की अगुवाई की.
भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली स्थानीय वाध्य यंत्रो की मधुर धुनों, महिलाओं के मांगलिक जागरों तथा सैकड़ों भक्तों की जयकारों के साथ सलामी, फापंज, मनसूना, बुरुवा, राऊलैंक, उनियाणा सहित विभिन्न यात्रा पडावों पर भक्तों को आशीष देते हुए रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी और 21 मई को राकेश्वरी मंदिर रांसी से प्रस्थान कर अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी. 22 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से प्रस्थान कर बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा कूनचटटी यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी और डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे.
भगवान मदमहेश्वर का पावन धाम रांसी गांव से लगभग 14 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान है और मदमहेश्वर धाम में भगवान शंकर के मध्य भाग की पूजा की जाती है. मदमहेश्वर धाम में पूजा-अर्चना करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. भगवान मदमहेश्वर को न्याय का देवता माना जाता है. बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि मदमहेश्वर यात्रा की तैयारियों के लिए अधिकारी और कर्मचारियों को निर्देश दिये गये हैं. मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने बताया आदेश के बाद मंदिर समिति का अग्रिम दल मदमहेश्वर मंदिर यात्रा तैयारियों में जुटा हुआ है.