Doon Medical College Recruitment: भले ही दून अस्पताल को साल 2016 में दून मेडिकल कॉलेज बना दिया गया हो, लेकिन छह साल बाद भी मेडिकल कॉलेज का स्टाफ अस्पताल को नहीं मिल पाया है. यही वजह है कि आज भी स्टाफ की भारी कमी से दून मेडिकल कॉलेज जूझ रहा है. क्योंकि इतने सालों के बीत जाने के बाद भी चिकित्सा शिक्षा के पदों पर कोई भी भर्ती नहीं हो पाई है. अस्पताल का काम पहले की ही तरह, चिकित्सा स्वास्थ्य के कर्मचारियों से चल रहा है.


अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी 
साल 2016 में देहरादून और प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल को मेडिकल कॉलेज बनाया गया था. मेडिकल कॉलेज बनने के बाद यहां चिकित्सा शिक्षा से पद भरे जाने थे, लेकिन इस ओर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया. वहीं पहले की ही तरह यहां चिकित्सा स्वास्थ्य के कर्मचारियों से ही काम चलाया जा रहा है. जबकि मेडिकल कॉलेज बनने के बाद बेडों की संख्या पहले से काफी बढ़ गई है. चिकित्सा शिक्षा से पद भरे जाते तो स्टाफ की कमी को पूरा किया जा सकता था. एक अनुमान के तहत देखें तो दून मेडिकल कॉलेज में 1200 स्टाफ नर्स, 600 पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही अनुभवी डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है.


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विभाग का अपना स्टाफ भी नहीं
विभाग का अपना स्टाफ न होने के वजह से अनुभवी डॉक्टरों सहित पूरी टीम की कमी बनी हुई है. समय से ये पद भर दिये जाते तो अस्पताल में सारी सुविधाएं समय से और नियमानुसार मिल पातीं. अस्पताल प्रशासन खुद इस बात के इंतजार में है कि जल्द से जल्द पदों को भरा जा सके.


छह साल के बाद भी मानकों पर भर्ती नहीं
देहरादून का दून अस्पताल उत्तराखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक है. दून मेडिकल कॉलेज बनने के बाद सभी को उम्मीद थी कि यहां पहले से और बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी. जबकि ऐसा नहीं हो पाया. छह साल बीत गये लेकिन मेडिकल कॉलेज के मानकों पर, डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की भर्ती नहीं हुई.


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