प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएए के विरोध के दौरान कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए रासुका के तहत जेल में बंद डॉक्टर कफील खान की रिहाई की मांग वाली एक याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार से बुधवार को जवाब दाखिल करने को कहा. न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने डॉक्टर कफील खान की मां नुजहत परवीन की तरफ से दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 19 अगस्त तय की है.


याचिकाकर्ता के मुताबिक, डॉक्टर कफील को एक सक्षम अदालत की तरफ से जमानत दे दी गई थी और उन्हें जमानत पर रिहा हो जाना चाहिए था. हालांकि, चार दिनों तक उन्हें रिहा नहीं किया गया और बाद में उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगा दिया गया. इसलिए उनकी हिरासत अवैध है. इस याचिका में डॉक्टर कफील पर रासुका लगाए जाने से पहले सभी मामलों में जमानत मिलने के बावजूद चार दिनों तक उन्हें हिरासत में रखे जाने को चुनौती दी गई.


कफील खान नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध के दौरान 10 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के बाद 29 जनवरी, 2020 से जेल में बंद हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस भाषण को ''भड़काऊ'' मानते हुए उन पर रासुका लगा दिया.


डॉक्टर कफील गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 2017 में आक्सीजन की कमी लेकर घटित दुर्घटना के बाद सुर्खियों में आए. इस घटना में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी के चलते कई बच्चों की मृत्यु हो गई थी. शुरुआत में आपात स्थिति में ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था कर बच्चों की जान बचाने को लेकर उनकी सराहना हुई. लेकिन, बाद में 9 अन्य डाक्टरों और कर्मचारियों के साथ उन पर कार्रवाई हुई. हालांकि बाद में सभी को जमानत मिल गई.


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