आगरा. नकली, नशीली और प्रतिबंधित दवाइयों के लिए बदनाम हुए आगरा में अब ड्रग माफियाओं की खैर नहीं है. ड्रग एवं औषधि विभाग और पुलिस मिलकर दवाओं के गोरखधंधे चलाने वाले जालसाजों पर पूरी तरह से नकेल कसने लगे हैं. लगातार हो रही बदनामी के बाद जब ड्रग इंस्पेक्टर नरेश मोहन दीपक को आगरा ट्रांसफर किया गया, तो उन्होंने एक के बाद एक दवाइयों से जुड़े हुए अवैध माफियाओं पर कार्रवाई करनी शुरू की.


एक्सपायर दवाइयों को खरीदकर महंगे दामों पर बेचते थे दो भाई
हाल ही में आगरा के एक गैंग पर कार्रवाई में बड़ा खुलासा हुआ है. मंगलवार को हुई कार्रवाई में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. दरअसल, ड्रग एवं औषधि विभाग को यह सूचना मिली थी राजौरा डिस्ट्रीब्यूटर्स नाम से फर्म चलाने वाले दो भाई नकली दवाओं का बड़े कारोबारी बन चुके हैं. ऐसी दवाइयां जो पूरी तरह से एक्सपायर हो गई है उनको बहुत ही सस्ते दामों पर खरीद कर 10 से लेकर 20 गुना दामों पर बेचते थे. दरअसल इस काम में उन्होंने पूरे तरीके से एक नेटवर्क खड़ा किया था. उदाहरण के तौर पर अगर एक दवाई का पत्ता ₹200 का है तो एक्सपायर होने के बाद उनको वह दवाई का पत्ता 10 से लेकर ₹15 का मिल जाता है. ऐसे में प्रदीप राजौरा और धीरज राजोरा मथुरा में स्थित दवाइयों की फैक्ट्री पर उसको रीपैकेजिंग कर दोबारा से मार्केट में उतार देते थे.


पुरानी डेट हटाकर नई डेट लगाकर बेचते थे
छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में थिनर केमिकल भी बरामद हुआ है. दरअसल, थिनर के जरिए रैपर से पुरानी डिटेल को हटाकर नई मैन्युफैक्चरिंग डेट, नई एक्सपायरी डेट और बैच नंबर लगाकर दोबारा से उसे सील पैक कर मार्केट में सप्लाई कर दिया जाता था. धीरज और प्रदीप के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने यह काला कारोबार लगभग एक साल पहले ही शुरू किया है. दोनों भाइयों ने देखते ही देखते करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया. जानकारी में यह भी आया है उन्होंने इसी काले कारोबार से अभी हाल ही में फ्लैट और लग्जरी गाड़ियां भी खरीदी हैं.


राजौरा भाइयों के पिता फलों का कारोबार करते थे. ऐसे में उन्होंने अपने पैतृक व्यवसाय छोड़ दवाओं के कारोबार में ज्यादा मुनाफा कमाने की सोची. बीएससी और बीबीए की पढ़ाई किए हुए दोनों भाई ने शुरुआत में एमआर की नौकरी से अपना करियर शुरू किया था.


आगरा के अलावा दूसरे जिलों में भी अधिकारियों की नजर
ड्रग एवं औषधि विभाग की कई सारी टीमें आगरा में ही हैं और लगातार नेटवर्क को खंगाला जा रहा है. आगरा के साथ-साथ बुलंदशहर, फिरोजाबाद , मथुरा, बागपत के ड्रग इंस्पेक्टर भी लगातार आगरा में जमे हुए हैं. जानकारी में सामने आया है कि राजौरा ब्रदर्स एसिडिटी, न्यूरो, हार्ट और एंटीबायोटिक की दवाइयों का नकली दवाइयों का कारोबार लंबे समय से कर रहे थे. मूल रूप से आगरा के खटीक पाडा के रहने वाले प्रदीप और धीरज राजौरा इन दवाइयों को सबसे ज्यादा झोलाछाप डॉक्टरों और देहात के अस्पतालों और मेडिकल स्टोर में खपाते थे ताकि इनके काले कारोबार पर ज्यादा सवाल ना खड़े हो सके.


तीन आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज
ड्रग एवं औषधि विभाग और पुलिस ने मिलकर 3 लोगों के खिलाफ अभी तक मुकदमा दर्ज किया है, जिसमें मंगलवार को आगरा से गिरफ्तार हुए राजौरा ब्रदर्स और मथुरा से गिरफ्तार हुए सौरभ शर्मा का नाम शामिल है. आगरा में इनकी निशानदेही पर एक टीम ने मथुरा में भी छापा मारा था और मथुरा वृंदावन रोड पर नकली दवाइयों को जलाते हुए राजौरा ब्रदर्स के गुर्गे रंगे हाथों पकड़े गए थे.


40 से लेकर 50 लाख की एक्सपायर दवाई बरामद
छापेमारी के दौरान एक्सपर्ट दवाइयों का बड़ा जखीरा बरामद हुआ है. ऐसे में जानकारी यह भी है फलों की टोकरियों में नकली दवाइयों का जखीरा भर के इसकी सप्लाई आगरा से बाहर की जाती थी. कुल मिलाकर ड्रग विभाग का कहना है इन दोनों भाइयों को अपने इस काले कारनामों की वजह से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.


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