कुशीनगर, एबीपी गंगा। कुशीनगर भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर भी कोरोना का असर दिखने लगा है। जिसकी वजह से अब 31 मार्च तक भगवान बुद्ध की स्थली पर भी ताला लटका दिया गया है। अब कोई देसी या विदेशी पर्यटक भगवान बुद्ध के दर्शन नहीं कर पायेगा। आज सुबह जैसे ही लोगों की नजर मंदिर पर पड़ी, तो  "कोरोना वायरस के मद्देनजर सभी एएसआई संरक्षित स्मारक 31 मार्च तक बंद रहेंगे" के आदेश की कॉपी गेट पर चिपकी दिखाई गई। ये आदेश डीजी और एडीजी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा जारी किया गया है। यानी अब आप 31 मार्च तक भगवान बुद्ध के दर्शन नहीं कर सकेंगे।


अब हम आपको भगवान बुद्ध के इतिहास के बारे में कुछ बताते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि 483 ईसा पूर्व भगवान बुद्ध कुशीनगर आए और महापरिनिर्वाण को प्राप्त हुए थे। इसलिए बौद्ध धर्म में कुशीनगर का विशेष महत्व है। कुशीनगर में भगवान बुद्ध के 4 प्राचीन दर्शनीय स्थल हैं। इसके अलावा 13 बुद्धिस्ट मंदिर भी है। हर साल बौद्ध धर्म के लाखों देसी-विदेशी अनुयाई यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं।



बता दें कि भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली को मुख्य मंदिर भी कहा जाता है। यहां विशेष पूजा अर्चना करके भगवान बुद्ध को चीवर चढ़ाया जाता है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से मंदिर का बंद होने सभी पर्यटकों के चेहरे पर मायूसी ले आया है।


भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में  4 प्राचीन दर्शनीय स्थल 



1- महापरिनिर्वाण मंदिर

बौद्ध धर्म में इस मंदिर का विशेष महत्व है। यहीं भगवान बुद्ध ने अपने प्राण त्याग किए थे, इसलिए इसको मुख्य मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान बुद्ध की 21.6 फिट लंबी लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है।

इस लेटी हुई प्रतिमा की सबसे ख़ास बात यह है कि यह तीन मुद्राओं में दिखाई देती है। पैर की तरफ से देखने पर शान्ति चित्त मुद्रा (महापरिनिर्वाण मुद्रा), बीच से देखने पर चिंतन मुद्रा और सामने से चेहरा देखने पर मुस्कुराते हुई मुद्रा दिखाई देती है।


2-  माथा कुंवर मंदिर

ऐसी मान्यता है कि महापरिनिर्वाण प्राप्ति से पूर्व भगवान बुद्ध ने अंतिम बार यहां इस स्थल पर पानी पिया था। यह मंदिर  मुख्य मंदिर से लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित है।  सड़क से नीचे होने के चलते इस मंदिर में बरसात के दिनों में पानी भर जाता है। इस मंदिर में भी ताला बंद हो गया है।



3- रामाभार स्तूप (मुकुट वंदन चक्र)

माना जाता है कि भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार इसी स्थल पर हुआ था, इसलिए यहां एक बड़ा स्तूप दिखाई देता है।  यहां बुद्धिस्ट आते हैं और घंटों शांति मुद्रा में बैठकर उनका पूजन करते हैं, लेकिन कोरोना वायरस ने सभी बौद्ध भिक्षुओं के पूजा अर्चना पर रोक लगा दी है और यह भी 31 मार्च तक बंद हो गया है।


4- अस्थि धातु वितरण स्थल 

यहां द्रोण नामक ब्राह्मण ने भगवान बुद्ध की अस्थियों का बंटवारा किया था। इसके अलावे अब कुशीनगर में भगवान बुद्ध के विदेशी अनुयाइयों ने 13 मंदिर और बनवाए हैं। इन मंदिरों की भव्यता देखते बनती है, जो नए मंदिर बने हैं, वे इतने मनमोहक बने हैं कि एक बार देखने के बाद पर्यटक इनकी ओर अपने आप खिंचे चले आते हैं।


भंते नंदरतन बताते हैं कि यहां हर वर्ष लाखों देसी और विदेशी पर्यटक भगवान बुद्ध के दर्शन के लिए आते हैं, यहां विशेष पूजा - अर्चन भी किया जाता है। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इसको 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है। हालांकि यहां कोरोना की रोकथाम के लिए विशेष पूजा अर्चना की गई थी। यह विश्वास है कि भगवान बुद्ध जल्द ही सब कुछ नॉर्मल करेंगे। लोगों को इसको लेकर जागरूक होने की जरूरत है।


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