लखनऊः पीलीभीत में एक माह से माला रेंज के शाहगढ़ में बाघ की दहशत का माहौल है. जंगल से बाहर घूम रहे बाघ को लेकर करीब एक दर्जन से अधिक ग्रामीण इलाकों में बाघ की दहशत देखी जा सकती है. वहीं वन विभाग की टीम लगातार बाघ की मॉनिटरिंग कर ग्रामीणों में जागरूकता का दावा पेश कर रही है. इस बीच ABP न्यूज की टीम ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर जंगल से सटे इस ग्रामीण इलाकों में लोगों का हाल जाना है.


बाघ के कारण इलाके में दहशत का माहौल


बीते करीब चार महीने पहले बाघ के हमले में घायल हुए रमनदीप सिंह का कहना है कि बाघ का जंगल से बाहर आना कोई नई बात नहीं है. लगातार कई माह से बाघ हम लोगों के घरों के आसपास ही नजर आ रहा है, खेतों में डर के साथ काम करना और शाम से पहले घर में कैद होना हम किसानों की मजबूरी ही है.


वन विभाग नहीं दे रहा ध्यान


शाहगढ़ गांव के ही हरपाल सिंह ने बताया कि बीते कई दिनों से इलाके में बाघ की दहशत है. कई बार बाघ की दहशत से घरों में ही कैद होना हम लोगों की मजबूरी हो जाती है. वहीं कई बार 24 घंटे के लिए हमें घरों में कैद होना पड़ता है.


गांव के ही सुखविंदर सिंह ने बताया कि बीते दिनों बाघ ने हमला किया है और लगातार बाघ देखा जा रहा है, लेकिन वन विभाग के आला अधिकारी कोई ध्यान नहीं देते. हम लोगों की सुरक्षा को लेकर हमें ही इंतजाम करना पड़ता है.


बाघ के कारण घरों में कैद हुए लोग


शाहगढ़ निवासी आशीष का कहना है कि 'हम लोगों के कच्चे खुले मकान हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना भी हमको नहीं मिली है और बिजली की भी सुविधा नहीं है. ऐसे में खेत में काम करना बड़ा मुश्किल होता है और देर शाम होने से पहले ही घरों में घुस जाते हैं.'


खेतों में खाद लगाने आए एक किसान ने कहा कि 'हम लोग लाठी-डंडे और शोर मचाकर ही खेतों में काम करने जाते हैं. जंगल से सटे इलाको में काम करने और आने जाने में दिक्कत हो रही है.'


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