Navaratri 2023: दुर्गा पूजा (Durga Puja) के मौके पर संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में मां काली 3 दिनों तक सड़कों पर निकलकर भक्तों को दर्शन देती हैं. मां काली स्वांग रचाते हुए देर रात सड़कों पर निकलती हैं. दर्शन कर आशीर्वाद हासिल करने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ता है. सड़कों पर भीड़ की वजह से तिल रखने की जगह नहीं बचती. परंपरा के मुताबिक मां काली रौद्र रूप में भक्तों को दर्शन देती हैं. उनके हाथ में खप्पर और भुजाली होती है. माना जाता है कि रामायण में खास प्रसंग को काली स्वांग कहा जाता है.


हाथ में खप्पर और भुजाली के साथ मां देती है दर्शन


काली स्वांग में मां सीता काली के परिधान में मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र के रथ के आगे भुजाली लेकर चलती हैं और ये खर दूषण वध का स्वांग होता है. इसी परंपरा को हर साल शारदीय नवरात्र में कलाकार जीवंत करते हैं. हजारों भक्त मां काली का आशीर्वाद लेने के लिए साथ चलते हैं. लोगों को मां काली के हाथ में लहराती भुजाली से घायल होने की भी परवाह नहीं होती है. कई बार लोग हादसे का शिकार हो भी जाते हैं.


काली का पात्र निभाने के लिए कलाकार रखते हैं व्रत


काली का पात्र बने कलाकार चार महीने पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं. कलाकार अभिजीत पांडेय काली का पात्र निभाने के लिए नवरात्र में पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं और संयमित जीवन जीते हैं. आयोजन समिति से जुड़ी बीजेपी नेता अनामिका चौधरी का कहना है कि काली स्वांग सनातन परंपरा का अटूट हिस्सा है. दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, झारखंड और बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है. कहा जाता है कि मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था. इसलिए असुरों के राजा पर विजय प्राप्ति की खुशी में दुर्गा पूजा मनाया जाता है. त्योहार के दौरान दुर्गा पंडालों को आकर्षक तरीके से सजाने की परंपरा है.


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