लखनऊ, संतोष कुमार शर्मा। उत्तर प्रदेश सरकार ने भले ही कोरोना से निपटने में खाली हो रहे खजाने को भरने के लिए शराब की दुकानें खोली हों लेकिन प्रदेश में शराब की दुकानें खुलकर भी बंदी के हालात से ही गुजर रही हैं. उत्तर प्रदेश के लोगों ने शराब की दुकान खुलने के 2 दिन में ही 40 दिनों की इकट्ठा हुए स्टॉक को खाली कर दिया और अब नए स्टॉक के इंतजार में ये दुकानें खाली पड़ी हैं. लॉकडाउन में खोला गया शराब का धंधा बदहाली की मार झेल रहा है.


केंद्र सरकार के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी लॉकडाउन के तीसरे चरण में शराब की दुकानों को खोल दिया. 4 मई को सुबह 10 बजे से खुलने वाली दुकानों के सामने 8 बजे से ही शौकीनों की भीड़ लग गई. क्या शहर...क्या गांव...क्या रेड जोन...क्या ग्रीन और ऑरेंज जोन...क्या महिला और क्या पुरुष सारे भेद मिट गए. मकानों के सामने 2 दिन तक इतनी लंबी लाइनें लगीं कि कई जिलों में पुलिस को शराब की दुकानों पर लाठी लेकर खड़ा होना पड़ा.



राजधानी लखनऊ की बात करें तो पहले 2 दिन में ही करीब 5 करोड़ की शराब बिक गई. पूरे प्रदेश में 1 दिन में ही 300 करोड़ की शराब बेची गई लेकिन, अब हालात बदल चुके हैं. अब शराब की दुकानें खाली पड़ी हैं. देसी शराब पीने वाला निचला तबका लॉकडाउन के चलते अपने घर की तरफ पलायन कर रहा है. ऐसे में शराब तो दूर बच्चों का पेट भरना की समस्या बन गई है.


वहीं, दूसरी तरफ अंग्रेजी शराब की दुकानें स्टॉक न आने की वजह से खाली पड़ी है. यानी 40 दिन की बंदी के बाद जब दुकानें खुलीं तो एक तरफ लोगों ने जमकर शराब खरीदी तो दूसरी तरफ स्टॉक की सप्लाई रुक गई और अब यह दुकानें खुलकर भी खाली हैं। यह हाल अकेले लखनऊ का नहीं है, समूचे प्रदेश में शराब की 50 फीसदी दुकानें या तो बंद है या स्टॉक की कमी के चलते खाली पड़ी हैं.




उत्तर प्रदेश में शराब की दुकानों पर एक नजर


देसी शराब की 14315 दुकानें


अंग्रेजी शराब की 5768 दुकानें


बीयर शॉप 5038


मॉडल शॉप 407


उत्तर प्रदेश में कुल शरीब की दुकानें 25828



इनमें से मौजूदा सत्र 2020-21 में 21501 दुकानों का रिन्यूअल हो चुका है। 1560 दुकान ई लॉटरी के जरिए आवंटित की जा चुकी हैं. धंधे की इस बदहाली पर शराब एसोसिएशन भी सरकार से कुछ रियायत चाहती है. मध्य प्रदेश की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी कोटा सिस्टम खत्म कर बिक्री के आधार पर राजस्व वसूला जाए, ताकि लॉकडाउन के इस कठिन वक्त में शराब का धंधा भी चले क्योंकि व्यापार चलेगा तो व्यापारी रहेगा और व्यापारी रहेगा तो सरकार को टैक्स देगा.