नई दिल्ली, एजेंसी। देश में मार्च महीने में पेट्रोल की मांग 15.5 फीसदी और डीजल की मांग 24 फीसदी कम हुई है। इसकी वजह है कोरोना वायरस के कारण देश में लागू लॉकडाउन। इस दौरान देश में पेट्रोल और डीजल की मांग घट गई है, जबकि इस दौरान एलपीजी की डिमांड बढ़ी है। दरअसल, कोविड- 19 को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन है। इस वजह से वाहनों के आवागमन पर रोक है।


 विमान ईंधन (एटीएफ) की बिक्री भी घटी




यही वजह है कि विमानों में इस्तेमाल होने वाले विमान ईंधन (एटीएफ) की बिक्री भी मार्च में 31 फीसदी  तक घट गई है। कोरोना के संक्रमण की साइकिल को तोड़ने के लिए समाजिक दूरी पर जोर दिया जा रहा है, इसी वजह से लॉकडाउन का ऐलान किया गया था। इस दौरान तमाम कारोबारी गतिविधियों के निलंबित रहने के साथ ही सड़कों पर वाहनों और आकाश में विमानों की उड़ानों पर रोक लगी है।


घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की डिमांड बढ़ी


हालांकि, इस दौरान घरेलू रसोई गैस सिलेंडर (एलपीजी) की मांग बढ़ी है। लॉकडाउन की घोषणा के बाद लोगों ने घरेलू सिलेंडर की बुकिंग तेज कर दी, जिससे इनकी खपत बढ़ी है।


पिछले साल मार्च के मुकाबले कितनी कम हुई डिमांड


पेट्रोलियम उद्योग के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2020 में पेट्रोल की बिक्री एक साल पहले के इसी माह के 22 लाख टन से घटकर 15.59 लाख टन रह गई। इसी प्रकार देश में सबसे ज्यादा खपत वाले डीजल की खपत 24.2 फीसदी गिरकर मार्च में 48 लाख टन रह गई। इससे पहले मार्च 2019 में देश में 63.4 लाख टन डीजल की बिक्री दर्ज की गई थी। इसी प्रकार विमान ईंधन की बिक्री भी पिछले साल मार्च में हुई 22. लाख टन के मुकाबले घटकर 21.85 लाख टन रह गई।


हालांकि, लोगों की रसोई गैस सिलेंडर बुकिंग बढ़ने से मार्च में इनकी मांग 3.1 फीसदी बढ़कर 22.50 लाख टन पर पहुंच गई।


अप्रैल में भी ईधत खपत कम होने की ही उम्मीद


उद्योग सूत्रों का कहना है कि अप्रैल में भी ईंधन खपत का यही रुझान जारी रहने की उम्मीद है। लॉकडाउन के अप्रैल मध्य तक जारी रहने के बाद ऐसे संकेत हैं कि इसके बाद भी कुछ हिस्सों में प्रतिबंध जारी रह सकता है। बता दें कि देशव्यापी लॉकडाउन 14 अप्रैल तक जारी रहेगा।


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