Dussehra 2022: कानपुर में रावण की विधि विधान से हो रही पूजा, साल में एक बार ही खुलते हैं दशानन मंदिर के द्वार
Vijayadashami 2022: देशभर में दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. लेकिन आज कानपुर शहर में शिवाला इलाके में स्थित लंकेश को पूजा जा रहा है.
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Dussehra 2022: आज विजयदशमी का दिन है. आज के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने रावण के अहंकार को चूर-चूर करते हुए उसका वध किया था. देशभर में दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. लेकिन आज कानपुर शहर में शिवाला इलाके में स्थित लंकेश को पूजा जा रहा है. साल 1868 में बनाए गए इस दशानन मंदिर का अपना ही इतिहास है. इस मंदिर में साल 1868 से विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. साल भर में केवल विजयदशमी के दिन इस मंदिर के पट भक्तों के लिए दर्शन के लिए खोले जाते हैं और शाम को इस मंदिर के पट साल भर के लिए बंद कर दिए जाते हैं.
लंकेश के दर्शन करने बड़ी संख्या में आते हैं लोग
आज के दिन रावण को विशेष तौर पर पूजा जाता है और आसपास के क्षेत्रों से लोग लंकेश के दर्शन करने बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. सुबह-सुबह ही दशानन के मंदिर का पट खोला जाता है फिर इसकी साफ सफाई करते हुए विधि विधान से पूजा अर्चना भी की जाती है. रावण को अति प्रिय तरोई का फूल श्रद्धालु महिलाएं और सुहागन अर्पित करती हैं और प्रकांड पंडित रावण से ज्ञान का वरदान मांगती है. दूर-दूर से लोग शिवाला स्थित दशानन मंदिर में माथा टेकने और दर्शन करने पहुंचते हैं.
अपने कुल को ज्ञानवान और धनवान बनाने का मांगते हैं आशीर्वाद
सरसों के तेल का दिया जलाते हुए ज्ञान का प्रकाश का आशीर्वाद लंकेश से भक्त मांगते हैं. भक्तों का मानना है कि उन्हें आज के दिन का विशेष रूप से इंतजार रहता है क्योंकि आज के ही दिन रावण का जन्म हुआ था और आज के दिन ही भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था. रावण अहंकार के चलते इस गति को जरूर प्राप्त हुआ हो लेकिन उसके ज्ञान का लोहा दुनिया भर में माना जाता है. भगवान श्री रम ने जब रावण का वध किया था उसके बाद अपने छोटे भाई लक्ष्मण को रावण से ज्ञान प्राप्ति भी करवाई थी. यहां आने वाले लोग श्रद्धा भाव से आज के दिन रावण को पूजते हैं और अपने कुल को ज्ञानवान और धनवान बनाने का आशीर्वाद भी मांगते हैं.
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