श्रावस्ती: एक तरफ जहां सरकार गरीबों को छत मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना चला रही है तो वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी गरीब हैं जिन्हें आवास नहीं मिल सका है. श्रावस्ती में रहने वाला एक ऐसा ही परिवार है जो बरसों से अपना जीवन एक टूटी हुई झोपड़ी में काटने पर मजबूर है. इस परिवार की सुध लेने वाला कोई नहीं है. ये परिवार एक छोटे से कच्चे घर में अपना जीवन बिता रहा है. बरसात में मिट्टी की कच्ची दीवार गिरने का डर हमेशा बना रहता है.


काम करने में असमर्थ
श्रावस्ती जिले के हरदत्त नगर गिरन्ट के केवटन पुरवा गांव में एक ऐसा परिवार रहता है जिसका हर सदस्य बौना है. एक तरफ जहां कुदरत ने इनके साथ मजाक किया तो वहीं गरीबी की वजह से परिवार दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी नहीं कर पाता है. राजवन अपने भाई और पत्नी के साथ बेबसी की जिंदगी काट रहा है. उसका पूरा परिवार 3 फीट का है. बौना होने के नाते वो कोई भी काम करने में असमर्थ है.



सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है राजवन
टूटा हुआ घर जब बरसात में टपकता है तो राजवन का दिल रोता है. खस्ताहाल घर ही उसकी विरासत है. राजवन जंगल से लकड़ी इक्कठा कर बाजार में बेचकर अपने परिवार का जीवन चला रहा है. कहते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर एक का सपना पूरा करते हैं इसी सपनों को संजोए हुए राजवन बीते 5 साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है.



नहीं मिल रहा है सरकारी योजनाओं का लाभ
राजवन कभी तहसील तो कभी जिला अधिकारी के यहां पहुंचकर अपनी दुख भरी दास्तां सुनाता है. लेकिन, इसके बावजूद भी उसे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. आखिर, ऐसे गरीब परिवार जो अपनी गरीबी पर खुद आंसू बहा रहे हैं उनका प्रशासन कैसे विकास करेगा ये अपने आप में बड़ा सवाल है.


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