नई दिल्ली: केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने हाथरस में दंगे की साजिश रचने के आरोप में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के 5 सदस्यों के खिलाफ लखनऊ में स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में चार्जशीट दायर की है. चार्जशीट पर अदालत ने संज्ञान भी ले लिया.


ईडी अधिकारियों के मुताबिक, पीएफआई और सीएफआई के जिन पांच सदस्यों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई उनके नाम हैं अतिकुर रहमान (CFI का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष), मसूद अहमद ( CFI का दिल्ली महासचिव), पेशे से पत्रकार लेकिन PFI के संपर्क में रहने वाले सिद्धिकी कप्पन, मोहम्मद आलम (PFI, CFI सदस्य). मथुरा पुलिस में इन सभी को एक कार से उस वक़्त गिरफ्तार किया था जब ये सभी कथित तौर पर हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिवार से मिलने के बहाने हाथरस में दंगा भड़काने, सांप्रदायिक सौहाद्र बिगाड़ने की नीयत से वहां जा रहे थे. बाद में मामले की जांच ईडी ने भी शुरू कर दी थी.


अधिकारियों के मुताबिक, ईडी ने मथुरा जेल में इन सभी गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ भी की थी. जांच के दौरान पता चला था कि हाथरस में दंगें करवाने की पूरी साजिश CFI के नेशनल जनरल सेक्रेटरी के.ए. राउफ शरीफ ने तैयार की थी, ये सभी उसी के इशारे पर हाथरस जा रहे थे. राउफ शरीफ को 12 दिसंबर को उस वक़्त गिरफ्तार किया गया जब वो हिंदुस्तान छोड़कर फरार होने की कोशिश कर रहा था.


ईडी अधिकारियों ने बताया कि जांच में ये भी पता चला कि हाथरस में दंगे करवाने के लिए PFI के गल्फ में बैठे आकाओं ने कई अलग-अलग तरीके से राउफ को मोटी रकम भेजी थी जिसमे हवाला रैकेट का इस्तेमाल भी किया गया था. जांच में सामने आया है कि 1.36 करोड़ रुपये PFI और CFI के सदस्यों, पदाधिकारियों को दिए गए थे, जिनका इस्तेमाल CAA प्रोटेस्ट, दिल्ली दंगों और हाथरस दंगों की साजिश में किया गया.


जांच में ये भी सामने आया है कि पिछले कुछ सालों में PFI के खातों में 100 करोड़ रुपये के करीब कैश जमा किये गए. जिसको लेकर ईडी अभी तफ्तीश कर रही है. साल 2013 में NIA की जांच में भी इससे पहले सामने आया था कि PFI और SDPI ने युवाओं को ब्रेनवाश कर उन्हें ट्रेनिंग भी दी है. इसके अलावा पिछले साल PFI और उससे संबंधित संगठन रेहाब इंडिया फाउंडेशन द्वारा 50 लाख रूपये विदेशों से लेने के मामले में भी जाँच कर रही है.


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