लखनऊ. बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं. 1129 करोड़ रुपये के बैंकिंग घोटाले में विनय शंकर तिवारी और उसके परिवार पर सीबीआई ने केस दर्ज किया था. अब इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी केस दर्ज कर लिया है. सीबीआई की एफआईआर के आधार पर विनय शंकर तिवारी और सभी नामजद आरोपियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया है. बता दें कि सीबीआई ने विनय तिवारी और उनके परिवार के तमाम सदस्यों व कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद 19 अक्टूबर को छापेमारी की थी. उल्लेखनीय है कि विनय तिवारी पूर्वांचल के बाहुबलियों में शुमार किए जाने वाले पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं.



सीबीआई ने इस मामले में विनय शंकर तिवारी, उनकी पत्नी रीता तिवारी और अजीत पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. विनय तिवारी और अजीत पांडेय की दो फर्मे गंगोत्री इंटरप्राइजेस प्राइवेट लिमिटेड और रॉयल एम्पायर मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड को भी एफआईआर में नामजद किया गया था. सीबीआई को अपनी शिकायत में कंसोर्टियम को लीड करने वाले बैंक ऑफ इंडिया ने 31 प्रमोटर और गारंटर का भी उल्लेख किया है, जिनमें पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी, उनके दोनों बेटे व बहु, बेटी और परिवार के तमाम सदस्य भी शामिल हैं.


विनय तिवारी की अनुमानित संपत्ति 100 करोड़ रुपये
बैंक की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में पता चला था कि बैंकों के करोड़ों रुपये को हड़पने के लिए विनय शंकर तिवारी, उनकी पत्नी रीता तिवारी और डायरेक्टर अजीत पांडेय के साथ कंपनी के प्रमोटर्स और डायरेक्टर्स की मिलीभगत थी. साथ ही बैंकों में बतौर सिक्योरिटी रखी गयी 32 संपत्तियों का भी जिक्र किया गया है, जिनमें से अधिकतर गोरखपुर, महराजगंज, लखनऊ और नोएडा में स्थित हैं. इन संपत्तियों की अनुमानित कीमत करीब 100 करोड़ रुपये है. इनमें से 17 कृषि योग्य भूमि जबकि बाकी आवासीय एवं कमर्शियल है. गंगोत्री इंटरप्राइजेस को सात बैंकों द्वारा बतौर कर्ज 1129 करोड़ रुपये दिए गये थे. रकम की वापसी नहीं होने पर एक्सिस बैंक के अलावा बाकी छह बैंकों ने कंपनी के खातों को एनपीए घोषित कर दिया था.


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