मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का पर्दाफाश करते हुए 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. मेरठ पुलिस ने तीमारदार बनकर निजी अस्पताल के कर्मचारी से इंजेक्शन खरीदने की बात की. जिसके बाद कोविड वॉर्ड में तैनात कर्मचारी ने 30 हजार में एक इंजेक्शन का सौदा कर दिया, जिसके बाद 3 इंजेक्शन और देने की बात हुई. इसके बाद जब पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने की कोशिश की तो हॉस्पिटल के सुरक्षा गार्डों ने पुलिस टीम पर हमला बोल दिया. जिसके बाद पुलिस ने 2 वॉर्ड कर्मचारी और चार निजी सुरक्षा गॉर्ड समेत 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.
गिरोह तक पहुंचने की कोशिश
बताया जा रहा है कि ये इंजेक्शन गाजियाबाद के एक मरीज के नाम पर मंगाए गए थे और इंजेक्शन मरीज को देने के बजाए इसकी कालाबाजारी चल रही थी. इस बात की जानकारी जब मेरठ पुलिस को हुई तो कप्तान ने टीम गठित की. सर्विलांस की मदद से टीम 2 लोगों तक पहुंची. जिसमे से एक वॉर्ड बॉय कोरोना वॉर्ड में तैनात था. पुलिस जब उसे पकड़ने गई तो अस्पताल के सुरक्षा कर्मचारियों ने पुलिस के साथ मारपीट कर दी. जिसके बाद पुलिस ने 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस अब आरोपियों से पूछताछ कर पूरे गिरोह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.
लखनऊ पुलिस को मिली थी कामयाबी
शुक्रवार को लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस ने कोविड-19 महामारी के जीवन रक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी में लिप्त गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. पकड़े गए आरोपियों के कब्जे से 116 रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद किए गए थे. आरेपी रेमडेसिविर इंजेक्शन को निर्धारित मूल्य से काफी अधिक कीमत पर बेचने का धंधा कर रहे थे.
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