Uttarakhand Assembly Election 2022: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तैयारियां शुरू कर दी है. इसी क्रम में उत्तराखंड पहुंचे मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और उनकी टीम ने राजनीतिक दलों के साथ ही सुरक्षा एजेंसियों के साथ भी बैठक की. इस बैठक के दौरान राज्य में चुनाव को लेकर अहम विचार विमर्श किया गया. मुख्य चुनाव आयुक्त ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए तैयारियों की जानकारी दी.


मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों ने कहा है कि चुनाव निष्पक्ष हों. सरकारी महकमे की सबको उचित सुविधाएं मिलें. भारत निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के सभी अधिकारियों और राजनीतिक दलों के साथ मंथन कर चुनावों का फीडबैक लिया. खास बात रही कि राजनीतिक दलों ने निर्वाचन आयोग से कोविड के चलते पोलिंग का समय बढ़ाने की मांग की. मुख्य निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनावों को निष्पक्ष चुनाव कराने की बात कही. आयोग ने दावा किया गया कि शराब की वजह से जो चुनावी माहौल बिगड़ता है, उसे पूर्ण तरह से प्रतिबंध किया जाएगा. ये मांग राजनीतिक दलों ने भी आयोग के सामने रखी.


जानिए कितनी है राज्य में वोटर्स की संख्या


इस बार उत्तराखंड में कुल मतदाताओं की संख्या 83.4 लाख के करीब है, जिसमें 1.9 लाख नए वोटर शामिल हुए हैं. इसके साथ ही 66 हजार 648 दिव्यांग वोटर हैं और 80 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं की बात करें तो उनकी संख्या 1 लाख 43 हजार के करीब है. इस बार निर्वाचन आयोग ने दिव्यांग वोटर्स और 80 वर्ष से ऊपर वाले बुजुर्गों के लिए ख़ास व्यवस्थ्य की है. दिव्यांग वोटर्स के लिए पोलिंग बूथ में व्हीलचेयर की व्यवस्था होगी. इसके साथ ही दिव्यांग जनों के लिए 66,700 वॉलिंटियर होंगे जो उनकी मदद  करेंगे.वही 80 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं के लिए निर्वाचन आयोग की टीमें घर-घर जाएगी.


बढ़ाई जायेंगी मतदान केंद्रों की संख्या


कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुआ इस बात मतदान केन्द्रों की सख्या भी बढ़ाई जायेगी. साथ ही कोविड की वजह से जो पहले एक पोलिंग बूथ पर पहले 1500 मतदाता वोटिंग करते थे, उसे घटाकर पोलिंग बूथ पर 1200 कर दिया गया है. कोविड की वजह स इस बार उत्तराखंड में 623 पोलिंग बूथ बढाए गए हैं. विधान सभा चुनावों के दौरान इस बार उत्तराखंड में कुल 11,447 मतदान केंद्र होंगे. इस बार निर्वाचन आयोग ने आपराधिक छवि वाले नेताओं के लिए भी सख्त हिदायत दी है. आयोग का साफ कहना है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेता चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें बताना होगा कि उनके खिलाफ कितने केस है. इसके साथ ही  राजनीतिक दल को भी आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी देनी होगी.


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