लखनऊ, एबीपी गंगा। लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कई बार 'अबकी बार, 300 पार' का नारा दिया। भले ही बीजेपी इसे लेकर पूरी तरह से आशावान रही हो लेकिन यह यह इतना आसान नहीं था। लेकिन अब जिस तरह से नतीजे सामने आ रहे हैं उससे एक बात तो पूरी तरह से साफ है कि बीजेपी अपने पुराने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए नए कीर्तीमान स्थापित करती नजर आ रही है। बीजेपी के इस प्रदर्शन के पीछे यदि किसी एक शख्स का नाम लिया जा सकता है तो वह पीएम नरेंद्र मोदी का होगा। अब ऐसे में लग तो यही रहा है कि बीजेपी 2014 के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के रिकॉर्ड को तोड़ देगी और उसकी सीटों में और इजाफा होने वाला है।
भारत फिर से जीता
लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत लगभग तय हो गई है। एनडीए को लगभग 340 और बीजेपी को करीब 300 सीटें मिलती दिख रही हैं। इस जीत पर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, 'सबका साथ + सबका विकास + सबका विश्वास = विजयी भारत। हम साथ में बढ़ते हैं। हम साथ में समृद्ध होते हैं। हम मिलकर एक मजबूत और समावेशी भारत का निर्माण करेंगे। भारत फिर से जीता!'
विभिन्न राज्यों में दिखा मोदी मौजिक
फिर एक बार मोदी सरकार ये नारा अब सच होता दिख रहा है। रुझानों के मुताबिक एनडीए को करीब 340 सीटें मिलती दिख रही हैं। साफ है कि विपक्ष का कोई भी मुद्दा मोदी लहर के आगे टिक नहीं पाया। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र और बंगाल जैसे राज्यों में भी मोदी मैजिक दिखा है। अब ये कहना गलत नहीं होगा कि सियासत के सेंसेक्स में मोदी ने नए आंकड़ों का कीर्तीमान स्थापित किया है और जिसके सामने पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए हैं।
धरे रह गए विपक्ष के सारे समीकरण
2014 के चुनावों में नरेंद्र मोदी पहली बार केंद्र की राजनीति में आए थे। चुनाव प्रचार के दौरान मोदी के पक्ष में लहर देखी गई और नतीजा भी वैसा ही रहा। इस बार तमाम मसलों पर विपक्षी हमलों को देखते हुए माना जा रहा था कि बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल सकती है। हालांकि जैसे-जैसे मोदी की रैलियां होती गईं, देश में मोदी का मैजिक बढ़ता गया। बिखरा विपक्ष अपने अस्तित्व को लेकर संघर्ष करता दिखा।
बीजेपी पर बढ़ा भरेसा
2014 में नरेंद्र मोदी हिंदी भाषी राज्यों में जाति के आधार पर पार्टियों को मिलने वाले वोटों को साधने में कामयाब रहे थे। इस बार यूपी में भले ही एसपी, बीएसपी और आरएलडी जैसी ठोस जनाधार वाली पार्टियों ने हाथ मिलाकर नया समीकरण तैयार करने की कोशिश की थी पर अब ये साफ है कि इनके वोटर्स ने भी बीजेपी पर भरोसा जताया है। यह एक तरह से क्षेत्रीय पार्टियों और उन नेताओं के लिए खतरे की घंटी है जो अपना जातिगत वोट बेस लेकर चुनाव लड़ते हैं।
जनता के सामने रखा रिपोर्ट कार्ड
चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ अपने पांच साल के विकास कार्यों का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखा बल्कि वह कांग्रेस और यूपी में 'बुआ-बबुआ' के गठजोड़ और बंगाल में ममता पर भी हमले करते दिखे। उनके सियासी हमलों का असर यह होता था कि विपक्षी दल अगले एक-दो दिनों तक खुद को डिफेंड करते ही दिखते थे। वंशवाद, भ्रष्टाचार, विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुख मुद्दे थे जिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर लगातार निशाना साधा।
मोदी का करिश्माई नेतृत्व
चुनाव में एक तरफ जनता के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा करिश्माई नेतृत्व था तो वहीं विपक्ष की तरफ से असमंजस वाली स्थिति बनी रही। लोगों को भी यह समझ नहीं आया कि मोदी नहीं तो आखिर कौन? ऐसे में राहुल गांधी, ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, चंद्रबाबू नायडू आदि विपक्षी नेताओं के पक्ष में वोटर्स एकमत नहीं हो सके। शायद विपक्ष की इसी कमजोरी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद और भी बढ़ता चला गया। मोदी के खिलाफ कोई नहीं था- यह इस बात से भी समझा जा सकता है कि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के अध्यक्ष को अपना गढ़ अमेठी बचाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। अगर यहां से राहुल हारते हैं तो यह पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित होने जा रहा है।
उल्टा पड़ गया वार
कांग्रेस ने जब 'चौकीदार चोर है' का नारा उछाला तो चुनाव से ठीक पहले मोदी ने ट्विटर पर खुद को 'चौकीदार' लिखकर नया अभियान चला दिया। पीएम ने उल्टा विपक्ष पर हमला करते हुए अपने-अपने क्षेत्र में काम करने वालों से 'चौकीदार' बनने को कहा। बड़ी संख्या में सोशल मीडिया और चुनाव प्रचार में 'मैं भी चौकीदार' कैंपेन सफल रहा। 'मोदी है तो मुमकिन है' और 'आएगा तो मोदी ही' जैसे कैंपेन ने मोदी के प्रति लोगों के भरोसे को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई। अब 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी और बड़ी ताकत बनकर उभरी है, विपक्ष को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा जिससे भविष्य में होने वाले चुनाव में बीजेपी को कम सेकम टक्कर तो दी जा सके।