(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
यूपी में बिजली दरें बढ़ाने की तैयारी, उपभोक्ताओं को लग सकता है महंगाई का झटका
उत्तर प्रदेश में कोरोना काल की मुसीबत के बीच उत्तर प्रदेश के लोगों पर दोहरी मार पड़ सकती है. राज्य में बिजली की दरों के लिये बनाये गये स्लैब में बदलाव की योजना बनाई जा रही है. इस परिवर्तन के बाद बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ बढ़ सकता है.
लखनऊ: कोरोना काल और लॉक डाउन के कारण पहले से ही आर्थिक मार झेल रहे लोगों को अब महंगी बिजली का भी झटका लग सकता है. बिजली विभाग प्रदेश में बिजली दरों के स्लैब का ढांचा बदलने की तैयारी में जुटा है. ऐसा होने पर उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ बढ़ सकता है.
स्लैब कम करने की तैयारी
वर्तमान में बिजली दरों के विभिन्न श्रेणियों के कुल 80 स्लैब हैं. इन्हें कम करके 40-50 करने की तैयारी चल रही है. घरेलू श्रेणी में इस समय गरीबी रेखा के नीचे वालों को छोड़कर चार स्लैब हैं, जिन्हें दो करने की योजना है. एक 200 यूनिट तक और दूसरा 200 यूनिट से अधिक. दूसरे स्लैब में आने वाले उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा. इसी तरह कमर्शियल, कृषि, औद्योगिक समेत अन्य श्रेणियों में स्लैब कम होंगे.
धार्मिक आयोजन व शिक्षण संस्थानों को मिल सकती है राहत
हालांकि नई व्यवस्था में शिक्षण संस्थानों और धार्मिक आयोजनों को राहत देने की तैयारी है. शिक्षण संस्थाओं के फिक्स चार्ज और विद्युत मूल्य दोनों में कमी की तैयारी है. वहीं, धार्मिक आयोजनों के लिए अलग श्रेणी बन सकती है. सरकार के निर्देश पर पावर कॉरपोरेशन नए स्लैब का प्रस्ताव तेजी से तैयार करने में जुट है. इसे राज्य विद्युत नियामक आयोग को भेजा जाएगा. आयोग में प्रस्ताव स्वीकार किया तो 2020-21 के टैरिफ आर्डर में इसका एलान संभव है.
दाम बढ़े तो आंदोलन
वहीं, बिजली दरों और नई स्लैब व्यवस्था को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने अभी से मोर्चा खोल दिया है. परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि केन्द्र के निर्देश पर अगर सिर्फ स्लैब व्यवस्था का सरलीकरण किया जाता है तो ठीक. लेकिन अगर उपभोक्ताओं पर बोझ डाला गया तो आंदोलन किया जाएगा. अवधेश वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियां 4500 करोड़ का घाटा दिखाकर दाम बढ़वाने की फिराक में हैं. जबकि असलियत अलग है.
उदय योजना और ट्रू-अप में 13337 करोड़ बिजली कंपनियों पर निकलता है. ये खुद नियामक आयोग ने माना है. इस पर 13 फीसदी कैरिंग कॉस्ट यानी ब्याज जोड़ा जाए तो रकम 14,782 करोड़ हो जायेगी. इसके हिसाब से बिजली दरें बढ़नी नहीं बल्कि कम होनी चाहिए. दरों में 16 से 25 फीसदी तक कमी आनी चाहिए. अवधेश वर्मा ने इस संबंध में ऊर्जा मंत्री को पत्र भी भेजा है.
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