प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में दीपावली का त्यौहार इस बार ख़ास अंदाज़ में मनाया जाएगा. प्रयागराज में इस बार गंगा की मिट्टी से बनी बिजली से भी रोशनी की जाएगी. हालांकि, इस साल यह काम सिर्फ प्रतीकात्मक तौर पर ही होगा. गंगा की मिट्टी से बिजली बनाए जाने की तारीफ़ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं. केंद्र सरकार भी इस अनूठी खोज को करने वाले इलेक्ट्रिकल इंजीनियर को सम्मानित कर चुकी है. वैसे जानकार गंगा की मिट्टी से बिजली तैयार करने की खोज को भविष्य के लिए बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं.
गंगा की मिट्टी से बनी बिजली से सजावट
संगम नगरी प्रयागराज में दीपावली का त्यौहार इस बार भी परंपरागत तरीके से मनाया जाएगा. कहीं, बिजली की रंगीन रोशनी की जाएगी तो कहीं भव्य आतिशबाजी होगी. कहीं, दीये सजाए जाएंगे तो कहीं गणेश लक्ष्मी का पूजन होगा. लेकिन इन सबके बीच कुछ जगहों पर गंगा की मिट्टी से बनी बिजली से भी सजावट की जाएगी. रंग -बिरंगी झालरें सजाई जाएंगी तो साथ ही इस अनूठी बिजली से एलईडी बल्ब जलाकर रोशनी भी की जाएगी. दरअसल देश के नामी आईटी संस्थानों में शुमार प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालॉजी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के रिसर्च स्कॉलर जितेंद्र प्रसाद प्रजापति ने कुछ दिनों पहले गंगा की मिट्टी से बिजली बनाने की अनूठी खोज की थी.
पीएम मोदी कर चुके हैं जितेंद्र की तारीफ
जितेंद्र ने गंगा की मिट्टी और उसके पानी से बिजली तैयार कर जो डेमो दिया था, उसकी तारीफ़ खुद पीएम नरेंद्र मोदी कर चुके हैं. जितेंद्र को इस अनूठी खोज के लिए राष्ट्रपति भवन में होने वाले समारोह में पुरस्कार दिया जाना था, लेकिन कोरोना की वजह से पिछले हफ्ते उन्हें ऑनलाइन सम्मानित किया गया. मूल रूप से यूपी के गाज़ीपुर के रहने वाले जितेंद्र के घर मिट्टी से दीये व बर्तन बनाने का परंपरागत काम होता था. बचपन में ही उन्होंने मिट्टी से तमाम तरह के प्रयोग करने शुरू कर दिए थे. जितेंद्र इस बार की दीपावली पर गंगा की मिट्टी से तैयार अनूठी बिजली के ज़रिये प्रयागराज में कई जगहों पर प्रतीकात्मक तौर पर रोशनी करने की तैयारी में है. इसके लिए वह संस्थान की लैब में दीपावली पर रंगीन रोशनी करने वाली झालरों और बल्बों की टेस्टिंग कर रहे हैं. उनका दावा है कि आने वाले सालों में वह पूरे शहर को गंगा की मिट्टी से तैयार बिजली से रोशन करेंगे.
अनूठी रिसर्च के चर्चें चारों ओर
रिसर्च स्कॉलर जितेंद्र प्रसाद प्रजापति की इस अनूठी रिसर्च की हर तरफ जमकर तारीफ़ हो रही हैं. जानकारों का कहना है कि अभी तक बिजली की बढ़ती डिमांड को पूरा कर सकने में भविष्य के लिए यह एक बड़ा कदम साबित हो सकता है. जितेंद्र के संस्थान के डायरेक्टर और एक्सपर्ट प्रोफ़ेसर राजीव त्रिपाठी के मुताबिक़ गंगा से बिजली बनाने का काम अभी भले ही छोटे स्तर पर हो, लेकिन इस पर और रिसर्च कर बड़े पैमाने पर भी बिजली पैदा की जा सकती है. उनका दावा है कि दीपावली की झालरों में रोशनी करने, बल्ब जलाने, मोबाइल चार्ज करने समेत छोटे - मोटे उपकरणों को चलाने वाली गंगा की मिट्टी से तैयार बिजली आने वाले दिनों में क्रांति साबित हो सकती है.
रिसर्च स्कॉलर जितेंद्र प्रसाद प्रजापति द्वारा गंगा की मिट्टी से तैयार बिजली से इस बार की दीपावली पर सिर्फ उनके संस्थान या कुछ और जगहों पर प्रतीकात्मक तरीके से रोशनी की जाएगी, लेकिन अगर यह प्रयोग बड़े पैमाने पर भी सफल हुआ तो आने वाले सालों में इससे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया रोशन हो सकती है. जितेंद्र को इसकी प्रेरणा पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल नारे से मिली है.
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