UP Electricity Strike: सूबे में बिजली गुल, पूर्व उपमुख्यमंत्री का घर भी हुआ अंधेरा-अंधेरा, 50 हजार से ज्यादा लोग परेशान
Lucknow News: यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश की बिजली व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, कई जनपदों में घंटों बिजली कटौती की जा रही है. ऐसे में सरकार के तमाम दावे फेल हो गए हैं.
UP Electricity Crisis: उत्तर प्रदेश में बिजलीकर्मियों की हड़ताल से अब प्रदेश में तमाम जगह बिजली आपूर्ति की व्यवस्था चरमरा गई है. ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा से लेकर विभाग के अधिकारी चाहे जो दावे करें, लेकिन कई जगहों पर घंटों से बिजली गायब है. राजधानी लखनऊ की ही बात कर लें तो लखनऊ विश्वविद्यालय उप केंद्र से लोकल फॉल्ट के चलते सुबह 7:00 बजे लाइट गई थी जो 3 घंटे 50 मिनट के बाद बहाल हो पाई. इसकी वजह से दस हजार से अधिक विद्युत उपभोक्ता परिवार यानी 50,000 से अधिक की आबादी प्रभावित हुई.
लखनऊ में रिजर्व पुलिस लाइन, पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा का सरकारी आवास, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति का आवास, शिक्षकों के आवास, लखनऊ विश्वविद्यालय के हॉस्टल, निशातगंज, न्यू हैदराबाद, ओल्ड हैदराबाद, बाबूगंज तमाम जगहों पर बिजली की कटौती से लोग परेशान हैं.
बिजलीकर्मियों की हड़ताल का व्यापक असर
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि बिजलीकर्मियों की हड़ताल का प्रदेश में व्यापक असर है. उत्पादन निगम की 1030 मेगावाट क्षमता की 5 इकाईयां ठप है. पारेषण की कई लाईनें बंद हैं और बड़े पैमाने पर 33/11 केवी उपकेन्द्रों की आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गयी है. संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के द्वारा बिजली कर्मियों पर लगाये गये तोड़-फोड़ के आरोपों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि बिजलीकर्मी विद्युत संयंत्रों को अपनी मां मानते हैं और शांतिपूर्ण ढंग से हड़ताल कर रहे हैं.
1850 मेगावाट का उत्पादन प्रभावित
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि 16 मार्च की रात 10 बजे हड़ताल शुरू होने के बाद उत्पादन गृहों, एसएलडीसी और पारेषण विद्युत उपकेन्द्रों की रात्रि पाली में कार्य करने हेतु एक भी बिजलीकर्मी ड्यूटी पर नहीं गया. हड़ताल शत-प्रतिशत है. अनपरा में 210-210 मेगावाट क्षमता की 2 इकाईयां, ओबरा में 200-200 मेगा वाट क्षमता की 9 एवं 11 नंबर इकाई और पारीछा में 210 मेगा वाट क्षमता की 3 नंबर इकाई बंद करनी पड़ी. इसके अतिरिक्त अनपरा में 210 मेगवाट की एक इकाई तथा 500 मेगा वाट की एक इकाई एवं पारीछा में 110 मेगावाट की एक इकाई जो पहले से बंद थी उन्हें बिजली कर्मचारियों के अभाव में हड़ताल के दौरान नहीं चलाया जा सका. इस तरह कुल 1850 मेगा वाट का उत्पादन प्रभावित हुआ है.
संगठन ने किया ये दावा
मध्यांचल अभियंता संघ के उपाध्यक्ष रणवीर सिंह ने कहा कि किसी भी बिजली कर्मचारी ने कार्य बाधित नहीं किया है. सब सिर्फ काम से हट गए हैं, हमारी लीगल नोटिस पड़ी है. कार्य बाधित ना हो उसकी व्यवस्था प्रबंधन को करनी चाहिए थी, अगर कार्य बाधित हो रहा तो यह उनकी विफलता है. बिजली कर्मियों द्वारा लाइन में गड़बड़ी करने वाले ऊर्जा मंत्री के बयान पर कहा कि इनकी बात में कोई सत्यता नहीं. सारे बिजली कर्मी आंदोलन में है, उसके पास इतना समय नहीं की वो लाइन में डिस्टर्ब करें. लाइनें खुद डिस्टर्ब होती रहती है, शायद ऊर्जा मंत्री को जानकारी का अभाव है.
रणवीर सिंह ने कहा कि लाइन फॉल्ट से हमारे किसी कर्मचारी का लेना देना नहीं है. सबसे बड़ी हास्यपद स्थिति यह है कि हम समझौता तो पहले ही कर चुके हैं, हड़ताल तो समझौते को मनवाने के लिए हो रही है. हम लगातार वार्ता करते-करते इस स्थिति में आ गए कि हमें हड़ताल करने के लिए बाध्य किया गया. जो लोग राजनीतिक संरक्षण या पॉलिटिकल मोटिवेटेड की बात कर रहे वो जान लें कि यह संघर्ष समिति किसी तरह का राजनीतिक दल नहीं है. इसका तो बहुत अच्छा इतिहास है. यहां का कोई नेता किसी राजनीतिक संगठन से संबंध नहीं है.
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