कई सुविधाओं से लैस है हाथियों का ये पहला अस्पताल, खाने से लेकर इलाज के हैं बेहतर इंतजाम
वाइल्ड लाइफ एसओएस संस्था ने हाथियों के संरक्षण के लिए 2010 में देश में पहला हाथियों का अस्पताल खोला था. यहां पर हाथियों के इलाज के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं हैं.
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मथुरा. चुरमुरा गांव में वाइल्ड लाइफ एसओएस नाम के एनजीओ ने यूपी फॉरेस्ट विभाग के साथ मिलकर साल 2010 में एलीफेंट कंजरवेशन एंड केयर सेंटर की स्थापना की थी. इस सेंटर में देश के कोने-कोने से बीमार और चोटिल हाथियों को लाया जाता है. कुशल डॉक्टर हाथियों का इलाज करते हैं. साथ ही उन्हें खाने-पीने की बेहतर सुविधा भी दी जाती है. व्यापारिक गतिविधियों में प्रताड़ित किए जाने वाले हाथियों की भी यहां देखरेख की जाती है.
संस्था के डायरेक्टर बैजुराज एमवी बताते हैं, "हाथियों को व्यापारिक गतिविधियों के लिये उपयोग किया जाता है, जबकि ये गैर कानूनी है. हम वन विभाग के साथ मिलकर हाथियों का संरक्षण करते हैं. यहां पर हम उन हाथियों को लाते हैं जिनको बेच दिया जाता है और बाद में उनको जबरदस्ती सर्कस या किसी अन्य काम में लगाया जाता है. इस दौरान इन हाथियों को कई प्रताड़नाएं झेलनी पड़ती हैं. हाथी वन्यजीव है और उन्हें हमें बेड़ियों में जकड़कर नहीं रखना चाहिए. वे जंगल के प्राणी हैं, उन्हें जंगल में ही रहने देना चाहिए." उन्होंने बताया कि इस वक्त सेंटर में 27 हाथियों का संरक्षण कार्य चल रहा है.
देश का पहला हाथी अस्पताल वाइल्ड लाइफ एसओएस संस्था ने हाथियों के संरक्षण के लिए 2010 में देश में पहला हाथियों का अस्पताल खोला था. यहां पर हाथियों के इलाज के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं हैं. हाथियों के संरक्षण में यह अस्पताल काफी मददगार साबित हो रहा है. इस अस्पताल में अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित इलाज की सुविधा है. यहां वायरलेस डिजीटल एक्स-रे, थर्मल इमेजिंग, अल्ट्रासोनोग्राफी सहित कई तरह की सुविधाएं हैं. इसके अलावा यहां पर पैथॉलॉजी लैब भी बनाई गई है. यह संस्था विलुप्त होते हाथियों के संरक्षण का काम करती है.
हाथियों की खुराक हाथियों को यहां पर 150 से 200 किलोग्राम गन्ना, 30 से 40 किलो फल, दलिया खिलाया जाता है. वहीं जिन हाथियों के दात नहीं होते हैं उन्हें दलिया और हरा चारा खिलाया जाता है.
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