Mathura: उमस भरी गर्मी में राहत पाने के लिए स्विमिंग पूल में नहा रहे हैं हाथी
मथुरा में हाथियों के लिए बनाया गया संरक्षण केंद्र में गर्मी दूर करने के लिए तमाम व्यवस्थाएं की गई हैं. यहां पूल में हाथि जमकर गोते लगा रहे हैं.
Elephants in Mathura: उत्तर प्रदेश में उमस भरी गर्मी से हर कोई परेशान हैं. क्या इंसान क्या जानवर, सभी बैचेन हैं. एबीपी गंगा की टीम मथुरा के फरह स्थित चूरमुरा के हाथी संरक्षण केंद्र पहुंची. जहां हाथियों को गर्मी से बचाने के लिये उनको गर्मी से राहत देने के इंतजाम किए गए हैं.
गर्मी से राहत पाने के लिए हाथी लगा रहे स्विमिंग पूल में डुबकी
पूरे प्रदेश में पारा बढ़ने के साथ, वाइल्डलाइफ एसओएस के मथुरा के चूरमुरा स्थित हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में मौजूद हाथी अपने-अपने निजी स्विमिंग पूल में डुबकी लगा कर गर्मी को मात देते नजर आ रहे हैं.
प्रदेश में बढ़ते तापमान को मात देने के लिए, वाइल्डलाइफ एसओएस ने उनके यहां सभी हाथियों के लिए आजीवन देखभाल के तहत अद्भुत व्यवस्थाएं की हैं. मथुरा में एनजीओ के हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में, लगभग 28 हाथी हैं. हाथियों को बढ़ते तापमान से राहत दिलाने के लिए जंबो स्विमिंग पूल के साथ-साथ पानी की छिड़काव के लिए स्प्रिंकलर भी हैं, जो कि, उनके बड़े-बड़े बाड़ों को ठंडा रखने में मदद करते हैं.
पानी में गोता लगाते हैं हाथी
हाथी अपने स्विमिंग पूल में समय बिताते हुए भरपूर आनंद लेते हैं. जहां बूढ़े हाथी, ठंडे ताज़ा पानी में आराम से घंटों बिताना पसंद करते हैं. वहीं कुछ हाथी जैसे की चंचल, पीनट, कोकोनट और लक्ष्मी ऐसे भी हैं, जो पानी में गोते लगाते हैं और अपनी सूड़ से अपने ऊपर पानी डालकर गर्मी की तपिश को कम करते नजर आते हैं.
यह पूल 400 वर्ग फुट और 6 फुट गहरे हैं. हाथियों को इनके अंदर आसानी से जाने के लिए, प्रत्येक पूल में एक झुका हुआ रैंप है, जिससे हाथियों को इनके अंदर जाते और आते समय कोई परेशानी ना हो.
उनके आराम का ख्याल रखा जाता है
यहां के मैनेजर ने हमें बताया कि, यहां पर इस समय 28 हाथी हैं, इनका जो सुबह से शाम तक का शेड्यूल रहता है कि, गर्मियों में सुबह 5:30 बजे हाथियों को बाहर घुमाने ले जाते हैं. सब हाथी बाहर एक्सरसाइज वॉक के लिए जाते हैं. उनके साथ जाने वाला महावत अपने साथ एक बैग लेके जाता है, जिसमें खाने-पीने की छोटी छोटी चीजें होती हैं. यह चीजें हाथियों को वर्क कराते समय खिलाते जाते हैं, जिससे कि हाथी इनके पीछे-पीछे चलते हैं. 3 घंटे की मॉर्निंग वॉक करकर वहां से आने के बाद हाथियों को रिलैक्स होने के लिए छोड़ देते हैं. उसके बाद उनके ट्रीटमेंट किया जाता है. उसके बाद उन्हें खाने के लिए दिया जाता है. उनको जो फल दिए जाते हैं और कुछ फलों को ट्रीटमेंट के समय हाथियों को खिलाया जाता है, जिससे कि, हाथी खाने पर फोकस करें और डॉक्टर इनका ट्रीटमेंट सही तरह से कर सके.
उसके बाद उन्होंने लाया जाता है इनके लिए उसके बाद इन्हें नीलाया लाया जाता है यह तालाब में जाते हैं इनको समर पाइप के पानी से इनको निलाया जाता है उसके बाद नीचे और ऊपर रखे हुए फलों को खाने के लिए दिए जाते हैं और हरा चारा दिया जाता है हाथियों के लिए स्प्रिंकलर भी चालू कर दिए जाते हैं जिससे कि उन्हें इस गर्मी से राहत मिल सके शाम को इन्हें घुमाने के लिए ले जाया जाता है और उसके बाद फिर यही रूटीन शाम के समय चलता है.
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