ट्रेन की टक्कर से हुई हथिनी और 6 माह के बच्चे की मौत, फिर...दिखा हाथियों का ये स्वभाव
Uttarakhand Elephants Death: उत्तराखंड में 6 माह का हाथी का बच्चा और 30 साल की हथिनी ट्रेन की चपेट में आ गए. हादसे के बाद हाथियों का झुंड पटरी पर आ गया.
Uttarakhand Train Hit Elephants: उधम सिंह नगर जिले के तराई केंद्रीय वन प्रभाग के पीपल पड़ाव रेंज में ट्रेन से टकराने की वजह से 6 माह के हाथी के बच्चे और हथिनी की मौत हो गई. घटना के बाद रेल की पटरियों के पास हाथियों का झुंड खड़ा हो गया. जिस कारण ट्रेनों की रफ्तार थग गई. काशीपुर से लालकुंआ आने वाली काशीपुर पैसेंजर ट्रेन को रद्द करना पड़ा. इसके अलावा डेमो ट्रेन के समय में भी फेरबदल किया गया है. वन विभाग ने हाथियों के शवों का पोस्टमार्टम कराने के बाद दफन कर दिया है.
पटरी पर आ गए हाथी
तराई केंद्रीय वन प्रभाग के पीपल पड़ाव रेंज स्थित भूरा खत्ता के पास रेलवे की पुलिया नम्बर 10 के पास ट्रेन से टकराकर दो हाथियों की मौत हो गई. घटना आज सुबह की है. सुबह आगरा फोर्ड एक्सप्रेस यात्रियों को लेकर लालकुआं काशीपुर जा रही थी, तभी भूरा खत्ता के पास ट्रैक पार कर रहे हाथियों के झुंड में 6 माह का हाथी का बच्चा और 30 साल की हथिनी ट्रेन की चपेट में आ गए. हादसे के बाद हाथियों का झुंड पटरी पर आ गया.
मौके पर मौजूद रहे अधिकारी
रेल पटरी पर हाथियों का झुंड आने की वजह से ट्रेन को वापस लालकुंआ भेजा गया. यही नहीं, ट्रेन में बैठे 65 यात्रियों को रेलवे विभाग ने बस से काशीपुर और रामनगर के लिए रवाना किया. घटना की सूचना पर वन विभाग सहित रेलवे प्रशासन भी मौके पर पहुंचा. बाद में हाथियों का झुंड जाने के बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने हाथियों के शवों को अपने कब्जे में किया. सूचना पर डीएफओ, एसडीओ, काशीपुर रेलवे अधिकारी, लालकुंआ रेलवे स्टेशन से आरपीएफ की टीम और टांडा रेंज, पीपल पड़ाव रेंज की टीम मौके पर मौजूद रही.
रेलवे प्रशासन की चूक रही है
एसडीओ ध्रुव सिंह भदोरिया ने बताया कि ट्रेन की टक्कर से दो हाथियों की मौत हुई है. जिसमें से एक 6 माह का बच्चा भी है. उन्होंने बताया कि बच्चे को बचाने के चक्कर में उसकी मां ट्रेन की चपेट में आ गई. दोनों के शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम कराया गया है. पूर्व में रेलवे प्रशासन को टांडा जंगल से गुजरने वाली ट्रेनों को स्पीड कम करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था. लेकिन, अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई है. प्रथम दृष्टया रेलवे प्रशासन की पूरे मामले में चूक रही है. जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
पहले भी होती रही है हाथियों की मौत
पिछले दो सालों के आकड़ों पर नजर डालें तो अब तक ट्रेन की टक्कर से 6 हाथियों की मौत हो चुकी है. जिसमें से 2 हाथियों की मौत लालकुंआ किच्छा रेलवे ट्रैक में नगला बाईपास के पास हुई है. जबकि 2 हाथियों की मौत हल्दी रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी पर एक साथ हुई थी. यही नहीं पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में बने मछली तालाब के पास करंट लगने से भी एक हाथी की मौत हुई थी. इसके अलावा सैनिक फॉर्म पत्थरचट्टा में भी एक हाथी की करंट लगने से मौत हुई थी. जबकि, हाल ही में तराई पूर्वी वन प्रभाग रेंज के पास एक हाथी का शव मिला था.
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