Strike in UP: यूपी में सरकारी इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा 102 और 108 से जुड़े कर्मचारियों की हड़ताल आज लगातार दूसरे दिन भी जारी है. हड़ताल का सीधा असर अब गरीब मरीजों पर पड़ता हुआ नज़र आने लगा है. तमाम मरीजों को आज प्राइवेट एंबुलेंस या फिर निजी वाहनों के जरिये अस्पतालों तक पहुंचना पड़ा. मरीजों के तीमारदार सरकार से इस मामले में दखल की मांग करते हुए हड़ताल जल्द से जल्द ख़त्म कराने की मांग कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ हड़ताली कर्मचारियों ने इस बार आर-पार की लड़ाई का ऐलान करते हुए मांगें पूरा ना होने तक हड़ताल जारी रखने को कहा है. कर्मचारियों का कहना है कि हड़ताल से पहले उन्होंने तीन दिनों तक सांकेतिक विरोध प्रदर्शन भी किया था, लेकिन सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है.
हड़ताल का सबसे ज्यादा असर प्रयागराज में देखने को मिल रहा है. कर्मचारियों की यह हड़ताल एजेंसी बदले जाने के बावजूद खुद की सेवाएं बरकरार रखे जाने, नियमित कर सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिए जाने और कोरोना काल में मौत का शिकार हुए कर्मचारियों के आश्रितों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने जैसी मांगों को लेकर है.
हालांकि हड़ताली कर्मचारियों ने यह ऐलान जरूर किया है कि कोई भी इमरजेंसी पड़ने पर वह एएलएस यानी एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली कुछ एंबुलेंस को भेज देंगे, लेकिन सामान्य मरीजों को 102 और 108 एंबुलेंस की सेवाएं कतई नहीं मिल सकेंगी. कर्मचारियों का कहना है कि सालों से इमरजेंसी सेवा देने के बावजूद उनका शोषण किया जाता है और उनकी मांगों को हमेशा इमरजेंसी की दुहाई देकर टाल दिया जाता है.
स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई
एंबुलेंस में तैनात ड्राइवरों और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियनों के हड़ताल पर चले जाने से दूर-दराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं. तमाम लोग एंबुलेंस सेवा को लेकर परेशान नजर आ रहे हैं. कोई अपने मरीज को निजी वाहन से लेकर आ रहा है तो कोई रिक्शे व ऑटो से. लोगों का कहना है कि सरकार और कर्मचारियों के विवाद का खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.
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