लखनऊ, संतोष शर्मा: उत्तर प्रदेश पुलिस अब मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे गुंडे-माफियाओं के आर्थिक साम्राज्य को नेस्तनाबूद करने जा रही है. बीते 3 सालों में यूपी पुलिस के रडार पर आए माफियाओं की संपत्ति और बैंक खातों की जांच अब ईडी से करवाई जाएगी. डीजीपी जल्द इन माफियाओं की बेनामी संपत्ति की जांच ईडी से करवाने की सिफारिश करेंगे.
ऑपरेशन मुख्तार के जरिए यूपी एसटीएफ के साथ मऊ गाजीपुर वाराणसी लखनऊ पुलिस ने मुख्तार गैंग के आर्थिक साम्राज्य पर हमला बोल दिया है. मुख्तार के कोयला कारोबार से लेकर मछली मंडी, रेलवे के ठेके, ईंट के भट्टे, ठेकेदारी समेत तमाम धंधों में लगे उसके गुर्गे और उनकी 100 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है. ईंट भट्टों से लेकर शॉपिंग कॉम्पलेक्स तक यूपी पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट की धारा 14 (1) के तहत जब्त कर दी है.
ख्तार और उसके गुर्गों के खिलाफ यूपी पुलिस की ये कार्रवाई काफी नहीं है. अपराध से कमाई गई बेनामी संपत्ति के साथ-साथ बैंकों में आए करोड़ों रुपए पर प्रवर्तन निदेशालय भी जांच करेगा. हवाला के जरिए अपराध में दी जाने वाली सुपारी या फिर किसी घटना के लिए एडवांस में दी जाने वाली रकम भी जांच के दायरे में आएगी. अपराधियों के साथ-साथ उनके करीबी रिश्तेदारों, नौकरों के बैंक खातों को ईडी जांच में लाया जाएगा.
अब तक की गई माफियाओं और अपराधियों की संपत्ति पर कार्रवाई के बाद अब यूपी पुलिस ईडी से जांच करवाने जा रही है. जल्द कागजी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद मुख्तार अंसारी और उसके जैसे तमाम अपराधियों की संपत्तियों की जांच ईडी से करवाने का डीजीपी पत्र लिखने जा रहे हैं.
बीते 3 सालों में उत्तर प्रदेश में माफिया और अपराधियों की करीब 300 करोड़ की संपत्ति पुलिस जब्त कर चुकी है. लेकिन, इसके बावजूद इन पर न तो प्रवर्तन निदेशालय की नजर गई और न ही इनकम टैक्स की. लिहाजा अब पुलिस चीफ की तरफ से अपराधियों के आर्थिक तंत्र को जड़ से खत्म करने के लिए ईडी से जांच करवाई जाएगी.
मुख्तार अंसारी गैंग ही नहीं बल्कि अतीक अहमद, सुंदर भाटी, बदन सिंह बद्दो,अनिल दुजाना, लखनऊ का जुगनू वालिया, पारसनाथ सोनकर, रविंद्र निषाद, उमेश कुमार सिंह, ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह, मथुरा का तेल माफिया मनोज गोयल, मैनपुरी का शराब माफिया दलबीर सिंह लोधी ईडी की जांच में लाए जाएंगे।
यूपी पुलिस की इस पहल से जानकार भी कहते हैं कि पहली बार माफियाओं के आर्थिक साम्राज्य पर सुनियोजित ढंग से कार्रवाई की जा रही है. पुलिस की अपनी सीमाएं हैं. वो सिर्फ गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराधी और उसके करीबी रिश्तेदारों के नाम बेनामी संपत्ति या फिर पहले अपराध के बाद से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त कर सकती है. लेकिन, ईडी पैसों की ट्रेल को खंगालने की स्पेशलाइज्ड यूनिट है. वो काले धन के ट्रांजैक्शन को पकड़ने में माहिर है. उसके पास कानूनी तौर पर भी ज्यादा अधिकार है. मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर सकती है. ईडी से जांच करवाने का फैसला अच्छा है, बशर्ते अपराधियों पर कार्रवाई में कोई भेद न किया जाए.
माना जा रहा है कि बीते 3 सालों में की गई पुलिस की कार्रवाई की कागजी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद अगले 10 दिन में डीजीपी की तरफ से ईडी के दिल्ली मुख्यालय को पत्र भेजकर जांच करवाने की सिफारिश कर दी जाएगी.
दरअसल, ईडी अपराधियों के साथ-साथ उनके करीबियों के बैंक खातों में हुए हर ट्रांजैक्शन को बारीकी से परखेगी. संपत्ति की खरीद-फरोख्त के असल और दस्तावेजी कीमत का आकलन कर लेगी. जिससे अपराध से कमाई गई रकम को बेनामी संपत्ति में खपाने का खुलासा ईडी करेगी. ईडी से जांच करवाने का फैसला अपराधियों के लिए एक नई मुसीबत होगा.
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