छठ पर्व पर लोगों में घर पहुंचने का उत्साह, चलाई जा रही हैं 110 से अधिक पूजा स्पेशल ट्रेनें
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा कि लोगों को कोविड-19 प्रोटोकॉल का ध्यान रखने के निर्देश दिए जा रहे हैं. कंफर्म पैसेंजर को ही एंट्री मिलने के कारण स्टेशन पर भी भीड़ कम है. कोरोना का भी असर है.
गोरखपुर: वैश्विक महामारी कोरोना के काल में पड़े छठ पर्व पर भी लोगों के उत्साह और आस्था में कोई कमी नहीं आई है. महानगरों में रहने वाले लोग भी अपने गांव और घरों की ओर जा रहे हैं. गोरखपुर के रेलवे और बस स्टेशन पर भी लोगों की खासी भीड़ दिखाई दे रही है. हर कोई जल्द से जल्द महापर्व में अपने घर तक पहुंचना चाहता है. यही वजह है कि खरना के दिन भी गोरखपुर से बिहार की ओर जाने वाली पूजा स्पेशल ट्रेनों में लोगों की भीड़ दिखाई दे रही है. वहीं बसों से बिहार जाने वाले लोगों की संख्या भी अच्छी-खासी है.
गोरखपुर के रेलवे स्टेशन पर तो हालांकि छठ के महापर्व पर इस समय सन्नाटा दिखाई दे रहा है. वैश्विक महामारी के कारण दिखने वाली भीड़ काफी कम है. लेकिन छठ का महापर्व मनाने के लिए अपने घर-गांव जाने वाले लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं आई है. गोरखपुर रेलवे स्टेशन से अधिकतर लोग बिहार में अपने घर छठ मनाने के लिए जा रहे हैं.
गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर एक महिला यात्री गीता देवी दिल्ली से आईं हैं. वे निजी साधन से बिहार के गोपालगंज घर जा रही है. छठ महापर्व के अवसर पर वे घर जा रही हैं. वे बताती हैं कि पूरे परिवार के साथ घर जा रही हैं. ट्रेन में भीड़ कम है. वे बताती हैं कि छठ महापर्व का समय चल रहा है. उन्होंने बताया कि वे 16-17 साल से व्रत कर रही हैं. वे बताती हैं कि पति और बेटे के साथ परिवार और समाज की सुख-शांति के लिए व्रत किया जाता है. वे इस बार पूरी दुनिया को वैश्विक महामारी से निजात मिले इसके लिए छठी मईया का व्रत करेंगी.
एक और यात्री गीता देवी के साथ उनके बेटे रितेश भी गांव गोपालगंज जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि छठ मईया के व्रत का काफी महत्व है. उनकी मां 16-17 साल से व्रत कर हैं. लोगों के अंदर काफी उत्साह दिखाई दे रहा है. गीता देवी के बड़े बेटे मोनू बताते हैं कि छठ पर्व पर वे घर जा रहे हैं. दिल्ली में बिजनेस है और जॉब भी करते हैं. उनका आधा परिवार दिल्ली और आधा परिवार गांव पर रहता है. वे कहते हैं कि घर में शादी और छठ का महापर्व है. इसी वजह से वे घर जा रहे हैं. छठ से बड़ा कोई त्योहार नहीं है.
महिला यात्री किरण कुशीनगर के हाटा जा रही हैं. वे बताती हैं कि उनकी मां कई साल से व्रत रह रही हैं. वे बताती हैं कि वे पहली बार छठ पूजा पर घर आ रही हैं. उनका कहना हैं कि स्टेशन पर भीड़ नहीं दिखाई दे रही है. पूनम शाह उत्तराखंड से बिहार के मुजफ्फरपुर जा रही हैं. वे कहती हैं कि छठ का महापर्व मनाने के लिए घर जा रही है. वे कहती हैं कि बहुत कठिन व्रत है. वे कहती हैं कि वे इस बार छठी मईया से इस बार मांगेंगी कि कोरोना चला जाए और देश-दुनिया में शांति फैले. पूनम के पुत्र लकी ओंकार कहते हैं कि इस बार 12-13 साल बाद छठ मनाने घर जा रहे हैं. वे बताते हैं कि ट्रेन का टिकट नहीं मिला, तो बस से ही जा रहे हैं. वे लोग साल भर इंतजार करते हैं. छठी मईया से कामना है कि इस बार सभी को वैश्विक महामारी से निजात दिलाएं.
चलाई जा रही हैं 110 से अधिक पूजा स्पेशल ट्रेन
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि दशहरा, दिवाली और अब छठ का पर्व है. छठ पर्व को लेकर अब तक 110 से अधिक पूजा स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है. हठिया और रांची के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग को देखते हुए पूजा स्पेशल ट्रेन भी चलाई गई है. बहुत सी पूजा स्पेशल ट्रेन एकल ट्रिप पर भी चलाई गई है. जिन ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट ज्यादा है, उनमें अतिरिक्त कोच लगाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि प्लेटफार्म नंबर एक के वेटिंग हाल को भी खोल दिया गया है.
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