Etah News: एटा में एड्स बांट रहे स्वास्थ्यकर्मी! HIV मरीज की सिरिंज से बच्चों को इंजेक्शन, स्वास्थ्य मंत्री का एक्शन
UP News: जब महिला ने इस बात की शिकायत की तो मेडिकल कॉलेज ने रात में ही एचआईवी पीड़ित बच्ची की मेडिकल कॉलेज से छुट्टी कर दी.अब इस मामले में डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने जांच बैठाई है.
Etah Medical College: उत्तर प्रदेश के एटा मेडिकल कॉलेज में एचआईवी संक्रमित बच्चे को लगाने वाले इंजेक्शन से ही अन्य बच्चों को भी इंजेक्शन लगाने से एचआइवी फैलाने का गंभीर आरोप सामने आया है. इस गंभीर आरोप की शिकायत एटा के जिला अधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल से की गई. इसके बाद जिला अधिकारी ने एटा मेडिकल कॉलेज प्रशासन को इसकी जांच के निर्देश दिए. इस गंभीर आरोप से एटा मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया.
यह गंभीर आरोप एटा जनपद मुख्यालय की ही रहने वाली एक महिला मिनाक्षी भारद्वाज ने लगाया. उनकी 7 साल की बेटी भी इसी मेडिकल कॉलेज में 20 फरवरी से भर्ती है. इस महिला का आरोप है कि उसके द्वारा एक ही सिरिंज से सभी बच्चों को इंजेक्शन लगाने का विरोध करने पर नर्स ने कहा कि हम सिरिंज को डिस्टिल वाटर से साफ कर लेते हैं. आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है. इसी तरह का ही आरोप एक और महिला रीता ने लगाया है, जिसका 5 महीने का बेटा अंश इसी मेडिकल कॉलेज में 28 फरवरी 2023 से भर्ती है. रीता रोते हुए बताती है कि उसको अब चिंता सता रही है कि कहीं डॉक्टर्स की लापरवाही से उसका 5 माह का बेटा भी एचआईवी संक्रमित न हो जाये. इसी तरह के आरोप अन्य मरीज भी लगा रहे हैं. हालांकि एचआईवी संक्रमित बच्ची को एटा मेडिकल कॉलेज ने डिस्चार्ज कर दिया गया है.
मामले की जांच में जुट गए अधिकारी
एटा के निधौली रोड निवासी एक महिला साक्षी भारद्वाज ने एटा के जिला अधिकारी को भी शिकायती पत्र भेजकर इस पूरे मामले की जांच करवाकर कार्रवाई करने की मांग की है. महिला के अनुसार इसी मेडिकल कॉलेज में एक बच्ची एचआईबी पॉजिटिव निकली है और वहीं सिरिंज से उस बच्ची को भी इंजेक्शन लगाया गया और बाकी सभी बच्चों को भी उसी सिरिंज से इंजेक्शन लगाया गया. जब महिला ने इस बात की शिकायत की तो मेडिकल कॉलेज ने रात में ही उसकी बच्ची की मेडिकल कॉलेज से छुट्टी कर दी. महिला की शिकायत पर महिला अस्पताल के सीएमएस अशोक कुमार इस मामले की जांच में जुट गए हैं. सीएमएस अशोक कुमार ने कहा कि मैं इस मामले की जांच कर रहा हूं, जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
इस मामले अपर जिला अधिकारी प्रशासन आलोक कुमार ने कहा कि इस प्रकार के शासन और प्रशासन के साफ निर्देश हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के लिये अलग अलग नीडल का ही प्रयोग किया जाये. उन्होंने बताया कि ये गंभीर मामला है. इस मामले की जांच की जा रही है, जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उनके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी. एटा मेडिकल कॉलेज के प्रशासन ने इस शिकायत को गंभीरता से लिया और वर्तमान में भर्ती सभी चारों बच्चों को एचआईवी रोकने के लिये प्रीकॉशनरी डोज दे दी गयी. अब इनका एक माह बाद दुबारा टेस्ट किया जाएगा, तब मालूम पड़ेगा कि इनको एचआईबी के लक्षण आये हैं कि नहीं. इस बीच ऐसे बच्चों के घरों में भी जाकर जांच की जाएगी, जो इस दौरान मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज कर दिए गए हैं. उनको भी उसी सिरिंज से इंजेक्शन लगाने का आरोप है जिससे एचआईवी संक्रमित बच्चे को इंजेक्शन लगाया गया था.
इस बीच मेडिकल कॉलेज का प्रशासन उन बच्चों की भी खोजबीन कर रहा है, जो बीच-बीच में डिस्चार्ज कर दिए गए और उनको भी इसी एक नीडल से इंजेक्शन दिए गए थे. कुल मिलाकर ऐसे बच्चों कि संख्या बढ़ भी सकती है. एटा मेडिकल कॉलेज की घोर लापरवाही से अनेकों बच्चों को एचआईवी संक्रमित होने की सम्भावना बढ गयी है. इस कारण से मेडिकल कॉलेज में भर्ती अन्य बच्चों के माता पिता को अब इस बात की चिंता सता रही है कि अब उनके बच्चों का क्या होगा?
स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने बैठाई जांच
वहीं जब यह मामला उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के सामने आया तो उन्होंने इसे बहुत गंभीरता से लिया. स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले पर जांच बिठाई है, डिप्टी सीएम ने इस मामले में जांच कर जल्द रिपोर्ट देने के लिए एटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को निर्देश दिया है. रिपोर्ट के आधार पर किसी भी चिकित्सक के दोषी दोषी पाए जाने पर उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी. वहीं एटा मेडिकल कॉलेज का प्रशासन इस मामले को दबाने में जुटा है.
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