Etah Medical College: यूपी में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर तमाम दावों के बीच एटा के मेडिकल कॉलेज की बदहाली की तस्वीर सामने आई है. कुछ महीनों पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहा वीरांगना अवंतीबाई लोधी मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन किया था, लेकिन कुछ महीनों में ही यहां की बदइंतजामी की पोल खुलती दिख रही है. यहां पर भर्ती मरीजों को ठीक से इलाज मिलना तो दूर खाना और गर्मियों में पानी तक नहीं मिल पा रहा है. मरीजों ने बताया कि उनको 1 अप्रैल से न तो खाना दिया गया है न पानी. मरीजों के तीमारदार ही किसी तरह खाना और पानी का इंतजाम कर रहे हैं.


मरीजों के लिए न खाना, न पानी


पीएम मोदी ने जब इस मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन किया तो लगा कि अब जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था थोड़ी बेहतर हो सकेगी, लेकिन फिर भी यहां की तस्वीर नहीं बदली. मेडिकल कॉलेज के टॉयलेट में गंदगी का अंबार है. यहां से आने वाली दुर्गंध से मरीजों का बुरा हाल है. मरीजों का कहना है कि डॉक्टर भी उन्हें ठीक से नहीं देखते हैं. जब उन्हें बुलाया जाता तभी वो मरीज के पास आते हैं. एबीपी गंगा की टीम ने जब इसका रियल्टी चेक किया तो पाया कि 1 अप्रैल से यहां मरीजों को खाना नहीं दिया गया. यहां खाना तो दूर मरीजों के लिए भीषण गर्मी में पानी तक की व्यवस्था नहीं है. मरीज बाजार से पानी खरीदकर पी रहे हैं. 


अस्पताल की व्यवस्थाओं का बुरा हाल


इस बारे में जब हमने और जानने की कोशिश की तो पता चला कि मेडिकल कॉलेज में खाना सप्लाई करने वाली संस्था का पिछले 1 साल से भुगतान नहीं हुआ है. जिसकी वजह से अस्पताल में खाने की सप्लाई रोक दी गई है. वहीं जब मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉ. अशोक कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वो जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं है. हालत ये है कि अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह चरमराती दिख रही है और कोई भी इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं और न ही इसमें सुधार के लिए कोशिश करता दिख रहा है. 


सवाल पूछने पर भड़के प्रिंसिपल


आखिर में आकर जब हमने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. नवनीत सिंह से पूछने की कोशिश तो उन्होंने जवाब देने के बजाय रिपोर्टर को ही नसीहत देने लगे और बोले आप ही इंतजाम करवा दीजिए. उन्होंने कहा कि आप भी पत्रकार है यदि मरीज भूखे-प्यासे हैं तो आप भी पानी दे सकते थे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमने अभी कुछ दिन पहले ही ज्वाइन किया है और मेरे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है. उन्होंने रिपोर्टर को धमकाते हुए कहा कि इन बातों का मुद्दा बनाने की जरुरत नहीं है. जाहिर है जब उच्च अधिकारियों का ही ये रवैया होगा तो अस्पताल की व्यवस्थाएं सुचारू रूप से कैसे चल सकती हैं. 


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