एटा. उत्तर प्रदेश की एटा पुलिस ने मिशन शक्ति के दौरान एक नायाब कार्यक्रम शुरू किया है, जो अब पूरे प्रदेश के हर जिले में लागू हो सकता है. इस प्रकार के संकेत प्रदेश के बड़े अधिकारियों ने इसकी सफलता को देखते हुए दिए हैं. ये कार्यक्रम है समाज में बौद्धिक रूप से अशक्त बच्चों ( Intellectually disable children) की माताओं को विशेष पुलिस अधिकारी बनाकर उनको सशक्त बनाने का. ये विशेष महिला पुलिस अधिकारी अपने घरों पर पुलिस के नीले लाल रंग के लोगों मे अपने नाम के साथ विशेष पुलिस अधिकारी की नेम प्लेट लगा सकेंगी. यही नहीं, इनको पुलिस विभाग की तरफ से पहचान पत्र भी निर्गत किया जाएगा. इसके लिए एटा पुलिस ने पूरे जनपद से 1986 ऐसी महिलाओं के परिवारों का चयन भी कर लिया है. ऐसी ही कुछ महिलाओं को आज एटा के अपर पुलिस अधीक्षक अपराध राहुल कुमार ने दलबल के साथ पुलिस की गाड़ियों के काफिले में हूटर बजाते हुए उनके गांव मे जा जा कर विशेष पुलिस अधिकारी का प्रमाणपत्र सौंपा और फूल मालाओं से इनका स्वागत किया गया. इस अवसर पुलिस कर्मियों ने बौद्धिक रूप से अशक्त बच्चों को गुब्बारे, चॉकलेट, और खाने का सामान भी दिया. उनको अपने हाथों से खाना भी खिलाया. ऐसे में इन महिलाओं के चेहरे पर चमक देखने लायक थी.


जिले 1986 महिलाओं को किया गया चिन्हित


त्तर प्रदेश सरकार के मिशन शक्ति कार्यक्रम के तहत एटा पुलिस ने खासकर बौद्धिक रूप से अशक्त बच्चों की माताओं को विशेष पुलिस अधिकारी बनाकर उनको सामाजिक सुरक्षा और प्रतिष्ठा देने का काम किया है. पूरे जनपद से ऐसी 1986 महिलाओं के परिवारों को चिन्हित किया गया है. अबतक 50 से अधिक महिलाओं को विशेष पुलिस अधिकारी बना दिया गया है. कुछ परिवारों के पुरुषों को भी विशेष पुलिस अधिकारी बनाया जा रहा है.


इसके अंतर्गत समाज में बौद्धिक रूप से अशक्त बच्चों के प्रति होने वाले शोषण और अपराधों को रोका जा सकेगा. अधिकांश बौद्धिक रूप से अशक्त बच्चों के मां बाप को ये चिंता सताती रहती है कि आखिर उनके बाद उनके बौद्धिक रूप से अशक्त बच्चे की देखभाल कौन करेगा? ऐसे में ये बीड़ा उठाया है एटा पुलिस ने.


काफी हद तक रुकेगा शोषण


एटा पुलिस के एक बड़े अधिकारी अपर पुलिस अधीक्षक अपराध राहुल कुमार का कहना है कि ऐसे बच्चों पर लोग गलत नजर डालते हैं, ये यौन शोषण के शिकार होते हैं, इनकी जमीनों पर कब्जे होते हैं, इनको ड्रग पैडलिंग में इस्तेमाल किया जाता है और इनसे जबरन भीख मंगवाई जाती है. ऐसे में हम इनको सामाजिक सुरक्षा और सम्मान देने के लिए ऐसे बच्चों की मां को विशेष पुलिस अधिकारी बना रहे है, जिससे समाज में उनका रसूख और इज्जत बढ़ेगी और उनका शोषण रुकेगा.


एटा के अपर पुलिस अधीक्षक अपराध राहुल कुमार कहते हैं कि एक एनजीओ से जुड़े रहने के बाद ऐसे बच्चों से जुड़े चौकाने वाले आंकड़े आने के बाद उनके मन मे ये विचार आया कि यदि ऐसे बच्चों की मां को यदि पुलिस विभाग में विशेष पुलिस अधिकारी बना दिया जाए तो इनकी सामाजिक धमक बनी रहेगी और इनका कोई शोषण नहीं कर पायेगा.


महिला बनेंगी विशेष पुलिस अधिकारी


उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों के मा बाप की यह चिंता बनी रहती है कि आखिर उनकी मृत्यु के बाद उनका बच्चा अपने बारे में सोच नहीं सकता, कमीज नहीं पहन सकता, नित्य क्रियाएं नहीं कर सकता, और उसके साथ कुछ भी हो सकता है. ऑर्गन हार्वेस्टिंग, सेक्ससुअल हैरेशमेन्ट, ड्रग पैडलिंग, फ़ोर्स बेगिंग आदि की घटनाएं हो सकती हैं. उनकी सारी जिंदगी इसी खौफ में बीत जाती है. ऐसे में जब कोई महिला विशेष पुलिस अधिकारी बनती है तो उस के पूरे परिवार पर एक तरह से पुलिस का टीका लग जाता है और लोग उसका और उसके परिवार के किसी भी सदस्य का शोषण नहीं कर सकते.


इसी क्रम में एटा जनपद के जलेसर में अपर पुलिस अधीक्षक अपराध एटा ने लाव लश्कर के साथ पुलिस की गाड़ियों के काफिले के साथ ऐसी महिलाओं के घर जाकर उनको विशेष पुलिस अधिकारी बनाया, उनको पुलिस विभाग का विशेष पुलिस अधिकारी का पहचान पत्र दिया गया. उनको अपने घरों के दरवाजे पर पुलिस के लोगों के साथ अपने नाम की नेम प्लेट लगाने को भी कहा गया.


इस सब का आशय यही है कि जब गाड़ियों के काफिले और लाव लश्कर के सात्ज हूटर बजाते हुए किसी गांव में वे बौद्धिक अशक्त बच्चे के घर जायेंगे तो आसपास के लोगों मे बड़े क्षेत्र में एक मैसेज जाएगा और लोग फिर इनका शोषण नहीं कर पाएंगे. आज ऐसी कई महिलाओं के चेहरे विशेष पुलिस अधिकारी बनने के बाद चमकने लगे.


पूरे प्रदेश में लागू हो सकता है एटा मॉडल


इस अवसर पर इस कार्यक्रम के सूत्रधार अपर पुलिस अधीक्षक अपराध एटा ने बताया कि प्रदेश भर के बड़े पुलिस अधिकारियों ने इसमे अपनी रुचि दिखाई है और हमे ऐसे संकेत मिले हैं कि अभी एटा में इसको और अच्छे से कराया जाए और इसका अच्छा प्रस्तुतिकरण किया जाए. उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि इसे जल्दी ही पूरे प्रदेश में भी लागू किया जा सकता है.


इस अभिनव एटा मॉडल के बारे में प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह )अवनीश अवस्थी ने एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपे बयान में कहा कि प्रदेश के अन्य जिलों के पुलिस फ़ोर्स को भी इस तरह के बौद्धिक अशक्त बच्चों की महिलाओं को इसी प्रकार से सशक्त बनाने पर विचार करना चाहिए. बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में एटा पुलिस का ये मॉडल पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाए.


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