UP: उत्तर प्रदेश के एटा जनपद में आज बुलडोजर विवादों में घिर गया. जिला प्रशासन का बुलडोजर आज फिर सिविल लाइन के पॉश इलाके में चला है. इस बार ये बुल्डोजर किसी माफ़िया ,अपराधी या अवैध रूप से कब्जा की गई जमीन पर नहीं बल्कि 1983 मे खरीदी गई जमीन पर स्थित भवन में चला है. जिसका नक्शा भी 1985 में पास कराया गया था. इसके साथ ही मकान के बगल में बनी बहुत पुरानी बाबा मुल्लेशाह की दरगाह को भी बुलडोजर से ढहा दिया. जिसको लेकर लोगों में प्रशासन के खिलाफ रोष देखने को मिला.


ध्वस्त किया गया था मकान
इससे पहले एटा जनपद की सबसे पॉश कॉलोनी सिविल लाइन में बुलडोजर चलाया गया था और उस समय बलबीर सिंह यादव के भवन को यह कहकर ध्वस्त करवा दिया गया था कि ये नगर पालिका की जमीन पर बना है. इसका भी नक्शा पास था और सभी राजस्व अधिकारियों की उसमें संस्कृति थी कि ये जमीन सरकारी या कब्जा की हुई नहीं है. उसी के बगल में आज पूर्व मे जिला अधिकारी के ड्राइवर रहे प्रेम पाल सिंह के मकान को बुलडोजर से अचानक ध्वस्त कर दिया. साथ ही प्रेम पाल सिंह के मकान के बगल में बनी पुरानी बाबा मुल्लेशाह की दरगाह को भी बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया का पालन किए हुए ध्वस्त कर दिया गया.


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अचानक खाली कराया गया मकान
भवन स्वामी सोनू कुमार का कहना है कि 1983 में इस जमीन का बैनामा कराया गया था और 1985 में इसका नक्शा भी पास करवाया था. उनका ये कहना था कि ये मामला सिविल न्यायालय में भी चल रहा है और माननीय हाई कोर्ट में भी चल रहा है. भवन में रहने वाले सोनू कुमार ने बताया कि आज मकान पर बुलडोजर चलाने के पूर्व किसी भी प्रकार का नोटिस नही दिया गया. अचानक से आकर मकान खाली करवाया गया और  मजबूरी में घर से सामान निकालकर सड़क पर रखा गया है.


कार्ट में चल रहा है मामला
सोनू ने बताया कि इस जमीन का बैनामा 1983 माधव सिंह से कराया और 1985 में इसका नक्शा पास कराया था. ये जमींदारी का नंबर है जो नॉन जेड ए का है. सरकारी फाइलों में इसका रिकॉर्ड नहीं है. यहाँ जो भी सरकारी भवन बने हैं ये जमीदार की जमीन थी. जो सरकार ने एक्वायर की थी. ये जगह एक्वायर नहीं हुई थी. ये जगह आज भी फ्रेश है और खसरा खतौनी में आज भी माधव सिंह के नाम दर्ज है. उन्होंने बताया कि इसका केश सिविल जज सीनियर डिवीज़न एटा के यहाँ और हाई कोर्ट मे भी चल रहा है.  


कब्जा करके बनाया गया था मकान
इस अवसर पर जब एटा के अपर जिलाधिकारी प्रशासन आलोक कुमार ने बताया कि पूर्व में ये मकान नगर पालिका परिषद की जमीन पर कब्जा करके बनाया गया था. यहाँ पर बड़ा सवाल ये भी उठता है कि यदि ये नगर पालिका की भूमि थी तो फिर इसका नक्शा कैसे पास हो गया. कैसे अनेको अधिकारियों ,लेखपाल,राजस्व निरीक्षक ,तहसीलदार, उप जिलाधिकारी आदि ने रिपोर्ट लगाकर भवन नक्शा पास कर दिया. जब अपर जिलाधिकारी से पूँछा गया कि बाबा मुल्लेशाह की पुरानी दरगाह परिसर में भी बुलडोजर चलाकर ढहा दी गयी,उसकी बाउंडरी तोड़ दी गयी,बोर्ड तोड़ दिया गया तो  उन्होंने कहा दरगाह भवन को सुरक्षित रखा जाएगा. उसको कोई छति नहीं होगी. लेकिन बाद में इस दरगाह भवन को भी ध्वस्त कर दिया गया. जिला प्रशासन ने अपना वादा नहीं निभाया.


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