UP News: मैनपुरी उपचुनाव (Mainpuri Bypoll) की जीत से उत्साहित सपा जहां यह मानकर चल रही है कि इसका असर आम चुनाव 2024 पड़ भी पड़ेगा वहीं बीजेपी का मानना है कि उसके मिशन-80 पर इसका कोई असर नहीं होगा.  इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के भाई अभिषेक यादव (Abhishek Yadav) ने कहा कि बीजेपी मिशन-80 (Mission-80)  का को ख्वाब देख रही थी उससे उलट हकीकत है कि पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ मतदान हो रहा है. उत्तर प्रदेश के मैनपुरी और खतौली में बीजेपी हारी, बीजेपी की जमीन खिसक रही है जब उपचुनाव में यह हालत है तो आम चुनाव में बीजेपी का प्रदेश से सफाया हो जाएगा.


अभिषेक यादव ने कहा कि अब लोगों में संदेश गया है कि अगर हम मेहनत से सबको साथ लेकर चले, बूथ पर काम करेंगे तो बीजेपी को हराया का सकता है. आने वाले निकाय चुनाव में हम बेहतर काम करते हुए ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतेंगे. चाचा शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा के सपा में विलय पर अभिषेक यादव ने कहा कि एकता में बहुत ताकत होती है. हम लोग एक हो गए हैं. इसका संदेश पूरे प्रदेश में गया है. वाकई में उनके साथ आने से हमें मजबूती मिली है. इसी का नतीजा है कि जसवंतनगर के साथ ही मैनपुरी में ऐतिहासिक परिणाम आए हैं.


 नतीजे से नहीं पड़ेगा आम चुनाव पर असर - सरिता भदौरिया


इटावा सदर से बीजेपी की विधायक सरिता भदौरिया ने 'मिशन 80' के सवाल पर कहा कि बीजेपी ने गुजरात में जो बड़ी विजय हासिल की है. साथ ही रामपुर का भी नतीजा आया है. उसको भी देखना चाहिए जिस तरह मैनपुरी उपचुनाव में सपा ने धनबल का प्रयोग किया वह किसी से छुपा नहीं है. उन्होंने आगे कहा, 'इस उपचुनाव का आने वाले लोकसभा चुनाव में कुछ फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि लोकसभा चुनाव में पीएम के चेहरे का भी असर पड़ता है. देश की जनता प्रधानमंत्री के चेहरे में मोदी जी को पसंद करती है उनके कामों को पसंद करती है. मोदी जी का विकल्प इस समय कोई नहीं है इसलिए हमारे मिशन-80 पर कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा.'


शिवपाल से नाराज उनके अपने - सरिता भदौरिया


सरिता भदौरिया ने आगे कहा कि डिंपल यादव एक समय में कन्नौज से निर्विरोध चुनी गई थीं लेकिन उसके बाद दोबारा बुरी तरह चुनाव हार गई थीं इसलिए राजनीति में कुछ स्थाई नहीं होता. वह चुनाव जरूर जीती हैं लोकसभा चुनाव में मैनपुरी में परिणाम बदलेगा. चाचा शिवपाल यादव ने विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था आज उनके लोग उनसे इसलिए नाराज हैं क्योंकि वह उनका साथ छोड़कर अपने बेटे और अपनी एक सीट के लिए सपा में चले गए, ऐसा उन्होंने पहली बार नहीं किया है विधानसभा चुनाव भी साथ मिलकर लड़ा था.


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